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क्या जानते हैं आप, कमाल की कलम से निकला था- बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार! Amroha News

अमरोहा (अनिल अवस्थी)। बाअदब बामुलाहिजा होशियार। यह डायलॉग अमरोहा से निकले प्रख्यात फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही की कलम से पुकार फिल्म के लिए निकला था।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 06:55 PM (IST)
क्या जानते हैं आप, कमाल की कलम से निकला था- बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार! Amroha News
क्या जानते हैं आप, कमाल की कलम से निकला था- बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार! Amroha News

अमरोहा (अनिल अवस्थी)। अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि दरबार में राजा के पहुंचने से पहले सैनिक बोलते हैं- बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार। यह डायलॉग अमरोहा से निकले प्रख्यात फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही की कलम से पुकार फिल्म के लिए निकला था।

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दादा मुनि यानी अशोक कुमार, कमाल की फिल्म महल में रीटेक दे-देकर चेन स्मोकर बन गए थे।

यह रोचक प्रसंग कमाल अमरोही के बेटे व फिल्म निर्देशक ताजदार अमरोही ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में साझा किए।देश दुनिया में अमरोहा का नाम रोशन करने वाले प्रख्यात फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही की पुण्यतिथि पर मुंबई में रह रहे कमाल अमरोही के बेटे ताजदार से बात हुई तो उन्होंने अपने पिता के कई अनछुए पहलुओं पर रोशनी डाली।

बड़े भाई की मामूली डांट से आहत होकर 17 वर्ष की उम्र में कमाल अमरोही ने अमरोहा छोड़ा

बताया बड़े भाई की मामूली डांट से आहत होकर 17 वर्ष की उम्र में बाबा (कमाल अमरोही) ने अमरोहा छोड़ दिया। लाहौर में उन्हें पता चला कि फिल्म निर्देशक सोहराब मोदी को एक अच्छी स्क्रिप्ट की जरूरत है। इस पर उन्होंने फोन पर मोदी से बात कर समय मांगा। उन्होंने मिनर्वा थियेटर में मिलने के लिए समय दे दिया।

इस पर बाबा ने कहा 'मैं देखने की नहीं, सुनने की चीज हूं

बताया बाबा मोदी के सामने पहुंचे तो उन्होंने बच्चा समझकर तवज्जो नहीं दी। इस पर बाबा ने कहा 'मैं कमाल अमरोही हूं। तो मोदी ने कह दिया 'मैं देख रहा हूं। इस पर बाबा ने कहा 'मैं देखने की नहीं, सुनने की चीज हूं।Ó उनके इस डायलॉग से प्रभावित होकर सोहराब मोदी ने उन्हें अपने पास बैठाकर स्क्रिप्ट सुनी। इसके बाद तत्काल उन्हें साइन कर लिया।

कमाल की स्क्रिप्ट पर बनी फिल्म पुकार देश की पहली गोल्डन जुबली साबित हुई

इसी स्क्रिप्ट पर बनी फिल्म पुकार देश की पहली गोल्डन जुबली साबित हुई। ताजदार बताते हैं कि बाद में बाबा ने महल फिल्म निर्देशित की। इसी फिल्म से जहां मधुबाला ने पहचान बनाई वहीं इसके गाना- आएगा, आएगा, आने वाला... से लता मंगेश्कर भी दुनियाभर में छा गईं। बताया कि इसी फिल्म में अशोक कुमार को सिगरेट पीने के इतने रीटेक करने पड़े थे कि वह चेन स्मोकर बन गए थे।

मौत के बाद भी मीना कुमारी से नहीं हुए जुदा

ताजदार अमरोही बताते हैं कि कुछ लोगों ने मीना कुमारी से बाबा के रिश्ते तल्ख होने की खबरें फैलाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की। दावा किया कि वह अंतिम समय तक उन्हें बेपनाह मुहब्बत करते रहे। यह संयोग देखिए के मुंबई सेंट्रल के मजगांव स्थित रहमताबाद कब्रिस्तान में भी बाबा को मीना कुमारी की कब्र के बगल में ही जगह मिली।

हमेशा पेंसिल से लिखी स्क्रिप्ट

अमरोहा के आदिल अमरोही बताते हैं कि कमाल साहब ने कभी भी पेन का प्रयोग नहीं किया। वह हमेशा पेंसिल से लिखते थे। आज भी कमाल की हवेली में उनकी ढेर सारी पेंसिल व रबर रखी हैं। बताया मोहर्रम में जब वह अमरोहा आते थे तो बाजार घूमते थे। इस दौरान वह दुकानों में जाकर हर किसी का हालचाल लेते थे।  


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