जिले की सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट वाहन
अमरोहा फिटनेस के मामले में परिवहन विभाग की तमाम कोशिश के बाद भी जिले की सड़कों पर अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं।
अमरोहा: फिटनेस के मामले में परिवहन विभाग की तमाम कोशिश के बाद भी जिले की सड़कों पर हजारों की तादाद में अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं। मानक को दरकिनार कर निजी व व्यवसायिक वाहन फर्राटा भर रहे हैं। इसके चलते कई बार हादसे हो जाते हैं तथा लोगों की मौत हो जाती है। किसी वाहन की बॉडी अधोमानक है तो कई वाहनों पर फॉग लाइन व बैक लाइट नहीं है। ट्रैक्टर-ट्राली व जुगाड़ के साथ ही टेंपो भी अधोमानक चल रहे हैं।
कोहरे का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में सड़कों पर दौड़ने वाले अनफिट वाहन हादसे का कारण बनते हैं। जिले में लगभग पांच हजार से अधिक वाहन फिटनेस का मानक पूरा नहीं करते। इनमें टेंपो, ट्रैक्टर-ट्राली, प्राइवेट बस, डीसीएम व अन्य वाहन हैं। जिले के हाईवे पर आए दिन कोई न कोई सड़क हादसा हो जाता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है सड़कों पर खटारा वाहनों का दौड़ना है।
इतना ही नहीं विभाग अनदेखी के कारण अनफिट स्कूली वाहन बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं। इन वाहनों पर न तो कोई कार्रवाई की जाती है और न ही अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान है। सबसे बुरा हाल तो व्यवसायिक वाहनों का है। इनकी बॉडी जर्जर होती है। फॉग लाइट, बैक लाइट, रिफलेक्टर, पार्किंग लाइट, सीट बेल्ट, टायर मानक पूरे नहीं करते। इससे रात के समय हादसों की आशंका अधिक रहती है। यही हाल छोटे वाहनों का है। यह क्षमता से अधिक माल लेकर चलते हैं। चेकिंग के दौरान खानापूर्ति कर दी जाती है। वहीं फिटनेस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
एआरटीओ शिवशंकर बताते हैं कि वाहनों की फिटनेस जांचने के बाद ही कागजी कार्रवाई पूरी की जाती है। साथ ही समय समय पर अभियान चलाकर अनफिट वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
यह हैं फिटनेस के नियम- परिवाहन निगम में दो तरह का फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। एक व्यवसायिक दूसरा निजी। नए व्यवसायिक वाहनों को दो साल का फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। इन्हें बाद में प्रत्येक साल फिटनेस प्रमाण पत्र लेना होता है। जबकि निजी वाहन सात सीटर व उससे अधिक के वाहनों को हर दो साल में प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है।