.. और आज खाकी खड़ी थी राम भक्तों की सुरक्षा में
गजरौला कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। वह सबकी सुनता है। यही वक्त का नजारा था।
गजरौला : कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। वह सबकी सुनता है। देखिए वक्त का नजारा कैसे बदलता है ? जिस राम मंदिर के लिए राम भक्त आंदोलन करते थे। पुलिस उनके पीछे पड़ जाती थी। उनके घरों पर दबिश पर दबिश डालती थी। मुकदमों पर मुकदमे कायम करने में देर नहीं लगाती थी। अब दौर बदल गया। पुलिस कल जिनकी तलाश में घूमती थीं, आज उन्हीं की सुरक्षा करती नजर आई।
वक्त को करवट बदलते देर नहीं लगती। महज तीन दशक पहले राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर राम भक्त आंदोलन करते थे। विहिप, बजरंग दल, शिव सेना, दुर्गा वाहनी इत्यादि ¨हदू संगठनों के लोग इसके लिए कभी कार सेवा कर अयोध्या कूच का ऐलान करते थे तो कभी धरना-प्रदर्शन इत्यादि कार्यक्रमों के माध्यम से भी अपनी इस आवाज को बुंलद करते थे। चूंकि उस समय सत्ता गैर भाजपाई दलों की हुआ करती थी। लिहाजा वह इन राम भक्तों को किसी भी दशा में अयोध्या नहीं पहुंचने देने का फरमान जारी करती थी। बस फिर क्या सरकारी तंत्र यानी पुलिस प्रशासन राम भक्तों के पीछे लग जाता था।
उन दिनों संघ से जुडे योगेंद्र कुमार उर्फ बंटू युवा होने के कारण ज्यादातर आंदोलनों की कमान उन्हीं के हाथों में रहती थी। वह उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान वह घरों पर आराम से नींद भी ले पाते थे। हमेशा डर रहता था कि पता नहीं घर पर कब पुलिस आ धमके। क्षेत्र के अधिकांश लोग भी उनके खिलाफ ही हुआ करते थे। चूंकि उन्हें नहीं लगता था कि उनकी यह मांग आसानी से पूरी हो जाएगी, लेकिन प्रभु राम की कृपा भक्तों कुछ ऐसी हुई कि नामुमकिन लगने वाला ऐतिहासिक कार्य पल भर में मुमकिन हो गया। सत्ता परिवर्तन के साथ हवा का रूख बदला। प्राथमिकताएं बदली गई और भगवान श्रीराम के चमत्कार से सारी बाधाएं भी कानूनी तौर-तरीकों से दूर हो गई। जिस राम मंदिर के लिए आंदोलन हुआ, उसी के लिए आज विधि विधान से भूमि पूजन हुआ। इसकी खुशी में घरों में दीप जलाने व मंदिरों में पूजा करने व आरती करने के दौरान पुलिस का लाव-लश्कर राम भक्तों के साथ सुरक्षा में खड़ा नजर आया।