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शहरी व ग्रामीण होने के फेर में बदहाल सुबोधनगर का पार्क

सुबोधनगर कालोनी वासियों की वर्षो बाद भी न ही ग्रामीणों में गिनती है और न ही अभी तक शहरी होने का दर्जा मिला है। जिसके चलते इकलौता पार्क मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहा है। जगह-जगह गंदगी पसरी है। जिसके चलते बच्चे और बुजुर्ग घूमने जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। जबकि यहां के लोग चुनावों में पालिका चेयरमैन से लेकर संसद तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद वह अपने वादे भूल जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:25 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:02 AM (IST)
शहरी व ग्रामीण होने के फेर में बदहाल सुबोधनगर का पार्क
शहरी व ग्रामीण होने के फेर में बदहाल सुबोधनगर का पार्क

अमरोहा : सुबोधनगर कालोनी वासियों की वर्षो बाद भी न ही ग्रामीणों में गिनती है और न ही अभी तक शहरी होने का दर्जा मिला है। जिसके चलते इकलौता पार्क मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहा है। जगह-जगह गंदगी पसरी है। जिसके चलते बच्चे और बुजुर्ग घूमने जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। जबकि यहां के लोग चुनावों में पालिका चेयरमैन से लेकर संसद तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वह अपने वादे भूल जाते हैं। हम बात कर रहे हैं शहर के वार्ड-5 के सुबोधनगर कालोनी की। कालोनी को आबाद हुए लगभग बीस वर्ष से अधिक हो गए। जिसमें टहलने और बच्चों के खेलने की सहूलियत के हिसाब से शिव मंदिर के सामने एक पार्क का निर्माण कराया था, लेकिन आज तक सरकार व पालिका की ओर से कोई सुंदरीकरण व अन्य सुविधा नहीं मिल पाई है। इतना ही नहीं यहां के रहने वाले लोग बिजली, पानी, सड़क और सफाई जैसी व्यवस्था को एक जमाने से तरस रहे हैं। इसका कारण यह है कि कालोनी वासियों की न ही तो अभी तक ग्रामीणों में गिनती है और न ही उन्हें शहरी होने का दर्जा मिल पाया है। जबकि चुनाव में चेयरमैन से लेकर संसद तक पहुंचाने में कालोनी वासी अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वह अपने किए गए वादे भूल जाते हैं। जिसके चलते आज सड़क निर्माण, लाइट, सफाई, पेयजल आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। हालांकि अलग-अलग जुगाड़ से कुछ सड़कों व पार्क की बाउंड्रीवाल करा दी, लेकिन सफाई के अभाव में बदहाल है। सरकारी सुविधाओं के लिए कई बार पालिका से लेकर प्रशासन तक से शिकायत की। लेकिन उन्हें पालिका के दायरे से बाहर का हवाला देकर टाल दिया जाता है।

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