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पर्यावरण संरक्षण को हरियाली का पाठ पढ़ा रहे शीशराम

गजरौला (अमरोहा) बढ़ता प्रदूषण व बीमारियां यह सब पर्यावरण संतुलन बिगड़ने के कारण ही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 11:42 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 05:06 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण को हरियाली का पाठ पढ़ा रहे शीशराम
पर्यावरण संरक्षण को हरियाली का पाठ पढ़ा रहे शीशराम

गजरौला (अमरोहा): बढ़ता प्रदूषण व बीमारियां यह सब पर्यावरण संतुलन बिगड़ने के कारण ही हैं। इन पर नियंत्रण के लिए हरियाली जरूरी है। हरियाली तभी संभव है जब पेड़ों के अंधा-धुंध कटान पर रोक लगे और ज्यादा से ज्यादा पौधे रोपकर उनके संरक्षण पर ध्यान दिया जाए।

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यह पाठ शीशराम सिंह अपने हर परिचित को पढ़ाते हैं ताकि लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता आए और हर व्यक्ति पौधारापेण व संरक्षण के लिए पर्यावरण प्रेमी बनकर आगे आए। शहर के दभानपुर रेलवे फाटक रोड के रहने वाले शीशराम प्रजापति सामान्य कारोबारी हैं। वह भवन निर्माण संबंधी सामग्री बेचते हैं। हरियाली के शौकीन व प्रेमी इतने हैं कि उन्होंने अपने घर के समीप आबादी वाले क्षेत्र में खाली पड़ी दो-ढाई बीघा भूमि में नीम, जामुन, आम, नीबू इत्यादि के पेड़ लगा रखे हैं।

शीशराम प्रजापति का कहना है कि बचपन में उनका पौधों की तरफ कोई खास लगाव नहीं था। चार-पांच साल पहले पर्यावरण सचेतक समिति की एक गोष्ठी में अचानक भाग लिया। वहां समिति के राष्ट्रीय सचिव संजीव पाल से मुलाकात हुई। उन्होंने पौधारोपण को लेकर चर्चा की। उसके बाद से उनमें भी पर्यावरण संरक्षण की समझ पैदा हो गई। अब वह अपनी दुकान पर आने वाले हर व्यक्ति को पौधारोपण के लिए प्रेरित करते हैं। किसी न किसी तरह से वह लोगों से पेड़-पौधों का जिक्र करते हैं तो लोग उनकी बात सुनकर प्रेरित हो जाते हैं।

वह कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति पौधा नहीं लगा सकता है तो वह पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने वालों को टोक तो सकता है। बकौल शीशराम उनके समझाने पर काफी लोग पौधे लगा चुके हैं। इनमें भानपुर के राजेंद्र, बसेडा के राजवीर, छोया के सतपाल इत्यादि शामिल हैं। पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करने के लिए भी लोगों को जगाने का काम करते हैं। कई लोग उनकी इस मुहिम से प्रभावित होकर दूसरों को प्रेरित करने का भी काम करने लगे हैं। वह लोगों से कहते हैं कि यदि कोई पौधा लगाना चाहता है तो उनसे निश्शुल्क लेकर जा सकता हैं। उनके द्वारा कई परिचितों को पौधे भेंटकर लगवाए भी गए हैं।


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