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सियासी चश्मे से देखा जा रहा आरक्षण पर सरकार का फैसला

अमरोहा : उत्तर प्रदेश में अति दलित और अति पिछड़ों की अलग से कैटेगरी बनाने संबंधी प्रदेश सरकार को सिया

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 11:49 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 11:49 PM (IST)
सियासी चश्मे से देखा जा रहा आरक्षण पर सरकार का फैसला
सियासी चश्मे से देखा जा रहा आरक्षण पर सरकार का फैसला

अमरोहा : उत्तर प्रदेश में अति दलित और अति पिछड़ों की अलग से कैटेगरी बनाने संबंधी प्रदेश सरकार को सियासी चश्मे से अलग-अलग देखा जा रहा है। भाजपा जहां इसे वास्तव में गरीबों की मदद के लिए सही फैसला बता रही है वहीं विपक्षी दल इसे अगले साल लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए दलितों को लालच देने की चाल मान रहे हैं। इस संबंध में प्रमुख राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कुछ इस तरह अपने विचार व्यक्त किए-

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गरीब चाहे जिस जाति का हो उसकी मदद करना सरकार का कर्तव्य है। अति दलित और अति पिछड़ों के कल्याण की वास्तव में जरूरत है। इसके चलते सरकार यह कदम सराहनीय ही नहीं बल्कि गरीबों के लिए कल्याणकारी है। हर किसी को इसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए। कंवर ¨सह तंवर, सांसद

सभी को पता है कि भाजपा सरकार जुमलों की सरकार है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर करारी मात देकर जनता ने बता दिया है कि अब वह जुमले बर्दाश्त नहीं करेगी। अति दलितों व अति पिछड़ों की कटेगरी बनाकर यह सरकार किसी को लाभ क्या देगी यह तो आरक्षण समाप्त करना चाहती है। जावेद आब्दी, राष्ट्रीय सचिव, समाजवादी पार्टी

इस तरह के कदम उठाकर सरकार दलितों व पिछड़ों में फूट डालना चाह रही है, क्योंकि इस वर्ग का वोट बैंक उसके लिए नुकसान दायक साबित होता है। सरकार का निशाना अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव पर है, इसलिए लोगों को लुभाकर उन्हें गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। मगर जनता अब समझदार हो चुकी है। शूरवीर ¨सह, जिलाध्यक्ष रालोद

दलितों व पिछड़ों को आपस में बांटकर वर्ष 2019 के चुनावों के लिए सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की यह महज एक नौटंकी है। भाजपा सरकार की मंशा शुरू से ही आरक्षण विरोधी रही है। पिछड़ों व दलितों को आपस में लड़ाकर सरकार आरक्षण समाप्त करने की फिराक में है। चौ. सुखराज ¨सह, जिलाध्यक्ष कांग्रेस


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