यू-ट्यूब से जाना खेती का तरीका, लीक से हटकर किया कमाल
अमरोहा पगला गया है कोमल जाने क्या-क्या करेगा। इस तरह की बातें कल तक लोगों की जुबां पर थीं।
अमरोहा: पगला गया है कोमल, जाने क्या-क्या करेगा। इस तरह की बातें कल तक लोगों की जुबां पर थीं लेकिन, जब मेहनत रंग लाई तो हर कोई दंग रह गया। कहने लगा कि उसने कमाल कर दिया। जी हां, यू-ट्यूब के जरिए उसने खेती का तरीका जाना और लीक से हटकर काम किया। परंपरागत को बाय-बाय कर सहफसली खेती को अपनाकर एक नजीर पेश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस बात को भी साबित कर दिखाया कि अब किसानों की आमदनी दोगुनी होगी। ये कैसे होगी, उसकी सफल कहानी का हिस्सा बन गए हैं राजपुर गांव के रोजगार सेवक कोमल सिंह।
हसनपुर तहसील क्षेत्र के गांव राजपुर निवासी कोमल पुत्र श्रीराम ग्राम पंचायत में रोजगार सेवक के पद पर कार्यरत हैं। उनके पास साठ बीघा जमीन है। माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। चार साल पहले उनके मन में आया कि गन्ने की खेती सभी करते हैं लेकिन, अब कुछ अलग करना चाहिए। यू-ट्यूब पर उन्होंने सहफसली खेती के बारे में जाना और उसका तरीका भी देखा। तमाम किसानों व अफसरों से जानकारी हासिल कर गन्ने के साथ हल्दी की खेती की। उस समय लोग उनको देखकर कहते थे कि कोमल का दिमाग चल गया है। घर को बर्बाद कर देगा। तरह-तरह की बातें उनके प्रति लोगों की जुबां पर रहीं लेकिन, जब फसल से मोटा मुनाफा कमाया तो सभी लोग सन्न रह गए। इसके बाद उन्होंने सहफसली खेती शुरू कर दी।
उन्हें देखकर गांव ही नहीं बल्कि आस-पड़ोस के गांवों के किसान भी गन्ने के संग आलू, सरसों आदि की फसल लेने लगे। बताते हैं कि अब उनके खेत में केला व पपीता की फसल खड़ी है। यह भी जैविक विधि के जरिए कर रहे हैं। इसमें भी अच्छा मुनाफा होने की संभावना जता रहे हैं। हर साल करीब पांच से छह लाख रुपए का फायदा हो रहा है। केंद्र सरकार की एक टीम उनके यहां पहुंचकर खेती को देख चुकी है। सुबह-शाम खेती, दोपहर में ग्रामीणों की सेवा
अमरोहा: रोजगार सेवक का पद भी अहम होता है। वह सुबह-शाम अपना वक्त खेतीबाड़ी में गुजारते हैं जबकि, दोपहर में ग्राम पंचायत के कार्यों को अंजाम देते हैं। इसके अलावा ग्रामीणों को भी आमदनी दोगुनी करने के लिए सहफसली खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं। ड्रिप एरीगेशन से अच्छी पैदावार हुई
अमरोहा: कोमल बताते हैं कि ड्रिप एरीगेशन विधि से जब से सहफसली खेती शुरू की है तब से पैदावार में बढ़ोत्तरी हो गई है। इस विधि से खेती करने पर न तो पानी की बर्बादी होती है बल्कि पौधे को पर्याप्त पानी भी मिलता है। सहफसली खेती मुनाफे का सौदा है। कोमल ने यह कर दिखाया है कि किसान चाहें तो अपनी आमदनी को दोगुना कर सकता है। इसके लिए उसको सोच बदलनी होगी। परंपरागत खेती का मोह त्यागना होगा।
राजीव कुमार, जिला कृषि अधिकारी, अमरोहा।