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दहेज का विवाद सामने आए तो मौलाना नहीं पढ़ाएं निकाह

अमरोहा अहमदाबाद की रहने वाली आयशा की खुदकुशी के बाद दहेज के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 11:45 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 11:45 PM (IST)
दहेज का विवाद सामने आए तो मौलाना नहीं पढ़ाएं निकाह
दहेज का विवाद सामने आए तो मौलाना नहीं पढ़ाएं निकाह

अमरोहा : अहमदाबाद की रहने वाली आयशा की खुदकुशी के बाद दहेज के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है। आगरा के मंटोला स्थित कैंथ वाली मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद दहेज को खत्म करने की पहल हुई। अब अमरोहा में सामाजिक व धाíमक संस्था जमीयत उलमा हिंद दहेज की बुराई को खत्म करने के लिए आगे आई है। जमीयत ने दहेज को लेकर विवाद वाली शादियों में मौलाना से निकाह न पढ़ाने की अपील की है।

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जमीयत उलमा हिद के जिला संरक्षक मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी ने बताया कि दहेज विरोधी मुहिम की शुरुआत रविवार को कर दी गई है। जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी मोहम्मद उस्मान से मशविरा के बाद मस्जिदों में नमाज के बाद दहेज लेनदेन की रोक पर तकरीर की जा रही हैं। मुहल्लों में कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को समझाया जा रहा है। शरीयत का हवाला देकर उन्हें समझाया जा रहा है कि दहेज इस्लाम में सही नहीं है। ऐसे घरों में बेटी का रिश्ता न करें जहा दहेज की माग की जाए। रविवार को मुहल्ला कुरैशी में सलाह-मशविरा हुआ। सोमवार रात आजाद मार्ग पर कार्यक्रम में अमरोहा में जमीयत के 35 लोग इस मुहिम के लिए जुटे। निर्णय लिया गया कि जल्दी ही गाव व शहरों में न सिर्फ मुसलमान बल्कि समाज के हर वर्ग के लोगों को जोड़कर दहेज विरोधी अभियान तेज किया जाएगा। उसके बाद इस मुहिम को दिल्ली कार्यालय से देश भर में फैलाया जाएगा।

जमीयत के अमरोहा जिला संरक्षक मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी ने बताया कि जमीयत ने सभी मौलाना से अपील की है कि जिस शादी में दहेज के लेनदेन को लेकर विवाद सामने आए या कोई शिकायत हो तो वहा निकाह नहीं पढ़ाएं।

दिल्ली में है संस्था का कार्यालय

द श की सामाजिक व धाíमक संस्था जमीयत उलमा हिंद का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी मोहम्मद उस्मान हैं। वह मदरसा दारूल उलूम देवबंद के सदर मुदर्रिस भी हैं। समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक मुद्दों को लेकर लोगों के साथ खड़ी रहने वाली संस्था अब दहेज विरोध को लेकर आगे आई है। दहेज इस्लाम मजहब में नहीं है। शरीयत के लिहाज से ही बेटी को विदा करें तथा लड़के वाले भी दहेज के मुतालबा न करें। जहा दहेज की माग है वहा रिश्ता न करें। दहेज मागने वाले समाजिक लिहाज से डाकू हैं।

-मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी, संरक्षक, जमीयत उलेमा अमरोहा।


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