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गंगा में उफान तेज, खादर के गांवों में बाढ़ के हालात

पर्वतीय क्षेत्र में झमाझम बरसात का सिलसिला जारी है। जिससे गंगा में आया उफान भी नहीं थमा है। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से खादर क्षेत्र में हजारों बीघा कृषि क्षेत्रफल में खड़ीं फसलें बाढ़ के पानी से लबालब हैं। किसानों को खेत से पशुओं के लिए चारा लाने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण शौच के लिए भी ज्यादा परेशान हैं। चारों तरफ पानी से घिरे रहने की वजह से शौच के लिए स्थान नहीं बचा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 10:50 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 10:50 PM (IST)
गंगा में उफान तेज, खादर के गांवों में बाढ़ के हालात
गंगा में उफान तेज, खादर के गांवों में बाढ़ के हालात

गजरौला : गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से खादर क्षेत्र में हजारों बीघा कृषि क्षेत्रफल में खड़ी फसल बाढ़ के पानी से लबालब हैं। किसानों को खेत से पशुओं के लिए चारा लाने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण शौच के लिए भी ज्यादा परेशान हैं। चारों तरफ पानी से घिरे रहने की वजह से शौच के लिए स्थान नहीं बचा है। पीड़ित ग्रामीणों को प्रशासन से मदद की खासी उम्मीद है। लेकिन अभी कई दिन तक बाढ़ का पानी बढ़ने की आशंका किसानों को ज्यादा परेशान कर रही है। वहीं बाढ़ अफसरों द्वारा खादर किसानों को लगातार अलर्ट किया जा रहा है।

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पहाड़ों पर हो रही मूसलधार बरसात की वजह से हरिद्वार व बिजनौर बैराज में स्टॉक किया गया पानी लगातार भारी मात्रा में गंगा में छोड़ा जा रहा है। रविवार को करीब पौने दो लाख क्यूसेक पानी अकेले बिजनौर बैराज से गंगा में डिस्चार्ज किया गया जो सोमवार तड़के तिगरी व ब्रजघाट पहुंच गया। इससे तिगरी गंगा का जलस्तर करीब बीस सेमी बढ़ जाने किसानों में दहशत फेल गई। सोमवार सुबह तिगरी में जलस्तर 200.40 गेज रिकार्ड किया गया। इससे खादर क्षेत्र के गांवों व कृषि क्षेत्रफल में पहले से घुसा पानी करीब एक फीट तक और बढ़ गया।

शीशोवाली, जाटोवाली, टांकोवाली, ओसीता जग्देपुर व तिगरी के हजारों बीघा से अधिक कृषि क्षेत्रफल में बाढ़ का पानी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। ग्रामीणों को पशुओं के लिए चारा लाने के किए चार फीट तक गहरे पानी से गुजरकर खेत पर पहुंचना पड़ रहा है। पानी में खड़े-खड़े ही चारा काटकर उसकी गठरी बनानी पड़ रही है। ट्यूब के सहारे खतरे भरे रास्ते से गुजरकर लौटना पड़ रहा है। ऐसे में छोटे कद के किसानों व महिलाओं को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा है। बच्चों का जंगल की तरफ जाना खतरे से खाली नहीं रह गया है। शीशोवाली व जाटोवाली गांव में पशुओं के लिए सूखा स्थान तलाश करना ग्रामीणों के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे पानी भरे स्थानों की ओर न जाएं। शौच के लिए स्थान तलाशने में भटक रहे ग्रामीण

गजरौला : गंगा में उफान के चलते खादर क्षेत्र में बाढ़ का पानी ग्रामीणों को इस कदर परेशान किए हैं कि ग्रामीणों को शौच के लिए सूखा स्थान नहीं मिल पा रहा है। ऐसा नहीं है कि गांव में लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने हुए हैं लेकिन गंगा का जलस्तर बढ़ने से गड्ढे वाले शौचालय उफन गए हैं। शौचालय में पानी भर गया है। घर से बाहर शौच को सूखा स्थान भी नहीं बचा है। ऐसे में बच्चों और महिलाओं को शौच जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और यदि दिन में शौच को जाना हो तो बेशर्मी की दीवार टूट जाती है। गांव में पसरी कीचड़ से फैल रहे संक्रामक रोग

गजरौला : खादर के गांव शीशोवाली व जाटोवाली चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। खास बात यह है कि गांव में ज्यादातर लोगों ने बाढ़ की मार से बचने के लिए अपने मकान ऊंचाई पर बना रखे हैं। यदि गांव में बाढ़ का पानी घुस भी जाये तो दो से तीन फीट तक पानी रास्तों पर भरने के बाद भी घरों में नहीं जा पाएगा। लेकिन गांव के जो नीचान वाले हिस्से हैं। उनमें बाढ़ का पानी भरा है और लगभग सभी मांर्गों पर बुरी तरह से कीचड़ एवं जलभराव की स्थिति बनी हुई है। इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चे एवं बड़े कीचड़ से होकर गुजरने को मजबूर हैं। जिससे संक्रमित बीमारियां फैल रही है। सोमवार को फिर छोड़ा गया 2.11 लाख क्यूसेक पानी

गजरौला: हरिद्वार व बिजनौर बैराज से गंगा में भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से सोमवार को एकाएक गंगा का जलस्तर बीस सेमी बढ़ गया। रविवार को तिगरी में 200.20 गेज रिकार्ड किया गया था। जो सोमवार को बढ़कर 200.40 गेज हो गया। बाढ़ खंड तिगरी के जेई प्रदीप कुमार ने बताया कि सोमवार को फिर हरिद्वार व बिजनौर बैराज से 2.11 लाख क्यूसेक पानी और छोड़ा गया है। इसमें अकेले बिजनौर से 1.45 लाख क्यूसेक पानी शामिल है। यह पानी मंगलवार तड़के तक तिगरी के आसपास पहुंचकर जलस्तर बढ़ाने का काम करेगा। हालांकि तिगरी में खतरे का निशान 202.5 गेज है। गंगा खतरे के निशान से अभी काफी नीचे है।


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