क्रोध आने पर मनुष्य विवेक से लें कार्य
कथावाचक बिरजानंद जी महाराज ने कहा कि सुख व स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे के पूरक है। सुख आने पर स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। क्रोध आने पर हमें विवेक से कार्य लेना चाहिए। क्योंकि क्रोध आने पर मनुष्य अपने सोचने समझने की क्षमता खो देता है। नगर के आनंद धाम आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक ने कहा कि श्रीमद् भागवत देवताओं को भी दुल•ा्भ है
मंडी धनौरा: कथावाचक बिरजानंद जी महाराज ने कहा सुख व स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे के पूरक है। सुख आने पर स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। क्रोध आने पर हमें विवेक से कार्य लेना चाहिए। क्योंकि क्रोध आने पर मनुष्य अपने सोचने समझने की क्षमता खो देता है। वह आनंद धाम आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन कर रहे थे।
कहा ब्रह्मा जी ने सत्यलोक में तराजू बांध कर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्ति पूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रहा। अपनी लीला समाप्त करके जब श्री भगवान निज धाम को जाने के लिए उद्यत हुए तो सभी भक्त गणों ने प्रार्थना कि- हम आपके बिना कैसे रहेंगे तब श्री भगवान ने कहा कि वे श्रीमद् भगवत में समाए हैं। यह ग्रन्थ शाश्वत उन्हीं का स्वरूप है।
विजय अग्रवाल, भोले दत्त, राहुल शर्मा, चमन सैनी, राखी अग्रवाल, सपना रस्तोगी, राधा रानी, ममता कौशिक, चाहत शर्मा, शशी शर्मा, दीपक कौशिक, पंकज शर्मा, महेश चन्द्र शर्मा,गितेश अग्रवाल, अनुज अग्रवाल, अमरीश शर्मा आदि मौजूद थें।