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ई कचरा जहरीला बना रहा गंगा को

गंगा से सटे क्षेत्रों में भी बाहरी क्षेत्रों से लाकर ई कचरा जलाया जाता है। यह बात पुष्ट हाल ही में तब हुई थी, जब पुलिस ने यहां छापा मारकर कुछ लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। पहले से प्रदूषित गंगा अब इस तरह का ई कचरा जलाए जाने से और जहरीली हो रही है। गंगा भक्तों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सरकार को इस पर गंभीरता से कदम उठाने चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 11:05 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 11:05 PM (IST)
ई कचरा जहरीला बना रहा गंगा को
ई कचरा जहरीला बना रहा गंगा को

गजरौला : गंगा से सटे क्षेत्रों में भी बाहरी क्षेत्रों से लाकर ई कचरा जलाया जाता है। यह बात पुष्ट हाल ही में तब हुई थी, जब पुलिस ने यहां छापा मारकर कुछ लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। पहले से प्रदूषित गंगा अब इस तरह का ई कचरा जलाए जाने से और जहरीली हो रही है। गंगा भक्तों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सरकार को इस पर गंभीरता से कदम उठाने चाहिए।

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अमरोहा जनपद की मंडी धनौरा व हसनपुर तहसीलों से होकर गुजरने वाले गंगा नदी के तटों पर गंदगी व पानी प्रदूषित होने की भले ही शिकायतें रहती हो लेकिन यहां ई कचरा जलाने के मामले सामने नहीं आते थे, लेकिन अब यहां ई कचरा भी जलाया जाने लगा है। इससे गंगा का जल और विषैला होने का खतरा बना है। अभी डेढ़ माह पूर्व ही पुलिस ने तिगरी से ई कचरा जलाते कुछ बाहरी लोगों को पकड़ा था। यह दिल्ली से ई कचरा गाड़ी में भरकर लाए थे। इससे साफ जाहिर है कि ई कचरा जलाकर गंगा को जहरीला बनाया जा रहा है।

हालांकि एनजीटी ने भी इस पर रोक लगा दी है, लेकिन इसका कड़ाई से अभी पालन होता प्रतीत नहीं हो रहा है। श्रद्धालु पंडित गंगा सरन शर्मा, संतोष यादव, राम प्रसाद, छोटे ¨सह इत्यादि ने प्रशासन से इस ओर कड़े कदम उठाने की मांग की है। पानी की जगह जहर पी रहे जनपद के लोग

अमरोहा: जनपद में कॉटनवेस्ट कारोबारी और औद्योगिक इकाइयां भी मुनाफे के लालच में भूगर्भ जल को जहरीला कर जनपदवासियों को बीमार बना रहे हैं।

मालूम हो कि जिले के छह विकास खंडों में पांच को पहले डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। सिर्फ गंगेश्वरी विकास खंड की हालत ही थोड़ी ठीक है। अत्यधिक जल दोहन से यहां भी निकट भविष्य में पानी को लेकर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। भूगर्भ जल को लेकर ज्यादा शिकायतें हैं, जो अमरोहा में कॉटनवेस्ट इकाइयों और गजरौला में उद्योगों के प्रदूषित जल के कारण पैदा हुई हैं। सियासी दवाब और ²ढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में अफसर इन पर कार्रवाई करने से भी कतरा रहे हैं। धरती का सीना चीरकर पाइपों के घातक रसायन भूगर्भ जल में मिला रहीं अमरोहा व नौगावां की 28 इकाइयों को बंद करने के आदेश भी तत्कालीन उप जिलाधिकारी नगेंद्र शर्मा द्वारा दिए जा चुके हैं, लेकिन उनके जाने के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। चार नदियों में से बान व सोत नदी का अस्तित्व ही खत्म होने की कगार पर है, दोनों ही नदियां सूख चुकी हैं। बगद नदी भी गजरौला क्षेत्र में स्थापित औद्योगिक इकाइयों के घातक रसायनों की वजह से काली नागिन बन चुकी है, आसपास का वातावरण भी दूषित है। जिले से होकर बहने वाली गंगा नदी में हालांकि जिले की औद्योगिक इकाइयों का पानी नहीं जाता। लेकिन यह नदी भी दूसरे शहरों की वजह से बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। हालांकि उप जिलाधिकारी सदर सुखवीर ¨सह का कहना है कि प्रदूषण फैलाने वाली कॉटनवेस्ट इकाइयों को चिह्नित कर उन्हें बंद कराया जाएगा।


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