फर्जी प्रमाण पत्र प्रकरण में पुलिस की चाल सुस्त
जागरण संवाददाता, अमरोहा: पश्चिमी बंगाल के तीन लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने के मामले में पुलिस की चाल सुस्त हो गई है। तीनों आरोपितों को जेल भेजे जाने के बाद उन्हें शरण देने व प्रमाण पत्र जारी कराने में सहयोग करने वालों पर पुलिस शिकंजा नहीं कस रही है। चर्चा है कि राजनीतिक दवाब के चलते पुलिस मामले को रफा-दफा करने की तैयारी में है।
अमरोहा : पश्चिमी बंगाल के तीन लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के मामले में पुलिस की चाल सुस्त हो गई है। तीन आरोपितों को जेल भेजने के बाद उन्हें शरण देने व प्रमाण पत्र जारी कराने में सहयोग करने वालों पर पुलिस शिकंजा नहीं कस रही है।
14 दिसंबर को मुखबिर की सूचना पर रजबपुर पुलिस ने पश्चिमी बंगाल के एक महिला व दो लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके पास रजबपुर के पते से फर्जी प्रमाण पत्र भी मिले थे। इनमें आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र व मूल निवास प्रमाण पत्र शामिल थे। जांच में पता चला था कि तीनों के पास मेरठ के किठौर व ग्रेटर नोएडा के नवादा के पते से भी प्रमाण पत्र बरामद हुए थे। मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने तीनों को जेल भेज दिया। अब पुलिस इस मामले में उन लोगों का पता लगा रही थी जिन्होंने तीनों को रजबपुर में शरण दी थी तथा उनके प्रमाण पत्र बनवाने में सहयोग किया था।
इस मामले में पुलिस ने स्थानीय बंगाली चिकित्सक से भी बात की थी। उन्हें नोटिस जारी कर बयान दर्ज किए थे। अब इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई सुस्त कर दी है। किस आधार पर तीनों लोगों के प्रमाण पत्र जारी किए गए तथा किस ने उनकी मदद की थी। उन लोगों का पता नहीं लगाया जा रहा है।