बाबू की घपलेबाजी में बगैर पेंशन मर गया मुहम्मद उमर
अमरोहा डीएम और कमिश्नर के फर्जी हस्ताक्षर से पेंशन दिलवाने की सजा पेंशन भोगियों को मौत से चुकानी पड़ रही है।
अमरोहा : डीएम और कमिश्नर के फर्जी हस्ताक्षर से पेंशन दिलवाने की सजा पेंशन भोगियों को मौत के रूप में भुगतनी पड़ रही है। एक साल बीतने के बावजूद 15 से अधिक पेंशनभोगियों को अभी तक पेंशन नहीं मिली। अफसरों ने भ्रष्ट बाबू को तो बहाल कर दिया मगर पेंशन दिलाने में रुचि नहीं ली। नतीजतन मंगलवार को पेंशन की आस तकते-तकते मुहम्मद उमर ने दम तोड़ दिया।
पालिका में लगभग 158 पेंशनभोगी हैं। इनके परिवार के भरण-पोषण का जरिया पेंशन ही है। पालिका का पेंशन पटल बाबू हबीब अहमद पिछले 16 वर्षों से पीपीओ (पेंशन पे आर्डर) पर डीएम व कमिश्नर के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर सेवानिवृत्त कर्मियों को पेंशन बांट रहा था। दैनिक जागरण ने पिछले वर्ष 20 अक्टूबर के अंक में 'डीएम और मंडलायुक्त के फर्जी हस्ताक्षरों से 16 वर्ष बांटी पेंशन' शीर्षक से इस खेल का पर्दाफाश किया। इसके बाद हबीब अहमद को निलंबित कर सभी पेंशनभोगियों की सही पेंशन बनवाने के निर्देश दिए गए। इनमें 15 से अधिक कर्मचारियों को अभी तक पेंशन नहीं मिली है। जबकि आरोपित बाबू को बहाल कर फिर पेंशन पटल पर तैनात कर दिया गया।
उधर, पेंशन के लिए बुजुर्ग कर्मचारी पेशन पटल बाबू व अधिकारी के चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं। इससे उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इनमें ही मोहल्ला मछरट्टा निवासी मुहम्मद उमर शामिल थे। वह 31 जुलाई 2005 को सेवानिवृत्त हुए थे। फर्जी पीपीओ प्रकरण के बाद से उन्हें भी पेंशन नहीं मिली थी। काफी दौड़भाग के बाद भी पेंशन न मिलने पर वह बीमार रहने लगे और मंगलवार को उनकी मौत हो गई। दिसंबर में नजमून भी तोड़ चुकी दम
अमरोहा : पिछले छह दिसंबर को पेंशन की आस में सेवानिवृत्त कर्मी मोहल्ला राजू सराय निवासी मुहम्मद इशाक की पत्नी नजमून की भी मौत हो चुकी है। मोहम्मद इशाक 31 जुलाई 2009 को सेवानिवृत्त हुए थे। 14 अप्रेल 2010 को उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद उनकी पत्नी नजमून का गुजारा उनकी पेंशन से हो रहा था। फर्जी पेंशन प्रकरण के बाद से उनकी पेंशन भी रुक गई। पेंशन के लिए छह माह दफ्तर के चक्कर काटने के बाद हार्ट अटैक से उसकी भी मौत हो गई थी। -पालिका के सभी सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन बन चुकी है। जिनकी नहीं बनी हैं, उनकी पेंशन में कहीं न कहीं आपत्तियां लगी हैं। इसकी जांच पड़ताल कराई जाएगी। उसके बाद ही सभी को पेंशन का भुगतान होगा।
मणि भूषण तिवारी, अधिशासी अधिकारी।