जाति नहीं, मतदाता के मन में विकास की बात
नौगावां सादात विधानसभा के लिए हो रहे उपचुनाव को प्रचार अंतिम चरण में हैं। प्रत्याशियों ने अपनी सारी ताकत झोंक दी है।
जागरण संवाददाता, अमरोहा : नौगावां सादात विधानसभा के लिए हो रहे उपचुनाव को प्रचार अंतिम चरण में है। सियासी दल जातीय समीकरण साधने में जुटे हैं। वहीं मतदाता विकास के साध ही कानून व्यवस्था पर बात करने लगे हैं। दिनदहाड़े होने वाली पशुओं की चोरी से अब वह अपने आपको बेफिक्र बता रहे हैं। वहीं कुछ को पुलिस के बेलगाम होने का दर्द भी है। सरकार के कामकाज का पैमाना कानून व्यवस्था के इर्द-गिर्द घूमता नजर आ रहा है। किसान, मजदूर व दुकानदार, हर कोई उपचुनाव पर खुलकर बोल रहा है। पहले अपने गांव के विकास की बात तक सिमटा मतदाता अब कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा कर रहा है। खेतों में धान निकाल रहे पीलाकुंड निवासी किसान विजयपाल सिंह व महमदपुर के समरपाल भी चुनाव की बात छेड़ते ही काम छोड़ देते हैं। कहते हैं कि चोरी पहले से कम हो गई है। विजयपाल कहते हैं कि अभी तक उनके पास मकान नहीं है। हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फार्म भर चुके हैं। वहीं गांव पीलाकुंड के बाहर सड़क पर ही मोबाइल की दुकान लगाए बैठे अजय कुमार भी चुनावी चर्चा में मशगूल हैं। कहते हैं कि अब जानवर चोरी नहीं होते, पहले तो चोरी की फिक्र में रात को सो भी नहीं पाते थे। बोले- सरकार तो सख्त ही होनी चाहिए। उनसे थोड़ी दूर बैठे हरिज्ञान सिंह सैनी कहते हैं कि सरकार तो ठीक है, वह तो उसी पार्टी को वोट देंगे जिसे देते आए हैं। फौज से रिटायर होने के बाद विजयेंद्र यादव ने नौगावां सादात रोड पर ढाबा खोल लिया है। चुनाव की बात छेड़ते ही पुलिस की ज्यादती पर नाराजगी जताते हैं। कहते हैं कि इस समय पुलिस बेलगाम है, उस पर नियंत्रण जरूरी है। हालांकि केंद्र में मोदी सरकार के फौज की बेहतरी व धारा-370 समाप्त करने जैसे कदमों की प्रशंसा भी करते हैं। वहीं रजबपुर में हाईवे किनारे परचून की दुकान पर भी चुनावी चर्चाओं में लोग मशगूल मिले। इनमें अजीम अहमद ने कहा कि प्रत्याशियों की बयानबाजी के बीच मतदाता भ्रमित है। हालांकि वोट देने से पहले वह सरकार के कामकाज को कसौटी पर जरूर परखेगा। नौगावां विधानसभा के लिए यह तीसरा चुनाव
अमरोहा : वर्ष 2011 में परिसीमन के बाद नौगावां सादात विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा के अशफाक अली इस विधानसभा सीट के पहले विधायक चुने गए। उन्होंने बसपा के राहुल चौहान को लगभग पांच हजार मतों से शिकस्त दी थी। इसके बाद वर्ष 2017 में हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी चेतन चौहान ने सपा प्रत्याशी मौलाना जावेद आब्दी को इस सीट पर लगभग बीस हजार मतों से पटकनी दी। चेतन के निधन के बाद इस विधानसभा के लिए यह तीसरा चुनाव है। सपा से एक बार फिर मौलाना जावेद आब्दी ही अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं भाजपा ने भी चेतन की जगह उनकी पत्नी संगीता चौहान को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में तीसरे पायदान पर रही बसपा ने फुरकान को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इन प्रत्याशियों के अलावा 11 अन्य भी ताल ठोक रहे हैं।