वियतनाम की लीची, थाईलैंड के ग्रीन एप्पल से सजी वाटिका
पेड़-पौधों से लगाव ने इंजीनियर से माली बन गए गया। इसके बाद उन्होंने अपने बाग में थाईलैंड के सेब और रेड मलेशियन अमरूद समेत अन्य पौध उगाए।
अमित मिश्र, अमेठी
पेड़-पौधों से लगाव ने एचएएल के एक इंजीनियर को एक ऐसे बाग का माली बना दिया है। जिसकी बाग में देश-विदेश में पाई जाने वाली कई प्रजाति के फल के पौधे मौजूद हैं। अमेठी के घाघोघर निवासी उमाशंकर तिवारी एचएएल में इंजीनियर थे। नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपने घर के आस-पास की जमीन को तरह-तरह के फलों के पेड़ पौधों से सजा दिया है। उनकी बाग में अमेरिका व आस्टेलिया में पाए जाने वाले फलों के पेड़ मौजूद हैं।
वियतनाम की लीची से लेकर थाईलैंड का ग्रीन एप्पल और और जामुनी रंग के आम तक हिमाचल के सेब से लेकर बांग्लादेश की नूरानी बेर, सफेद जामुन, हींग तक। तमाम फलों के पौधे वाटिका में मौजूद हैं। बागवानी का शौक रखने वाले सेवा निवृति इंजीनियर ने पहले देश का भ्रमण किया। फिर नामचीन फलों को अपनी वाटिका में लगाया।
कड़ी मेहनत से मिली सफलता, अब लगने लगे हैं फल : कड़ी मेहनत के बाद विदेशी जलवायु में पैदा होने वाले फलों को खुद की वाटिका में लगाया। सभी फलों की पैदावार होने लगी है। थाईलैंड की ग्रीन एप्पल को हिमाचल की वादियों से खरीदा तो बांग्लादेश की नूरानी बेर, रेड मलेशियन अमरूद, थाईलैंड का अमरूद, सीएडल्स जमुनी रंग का आम, थाईलैंड की मुसम्मी, वियतनाम की सीडलेस लीची, तमिलनाडु काली पत्ती, लांग, चीकू के पौधों में फल लगने लगे हैं।
कलकत्ता से मंगवाया था पौध : सेवानिवृत्त इंजीनियर ने बताया कि नौकरी के दौरान हमारे हिमाचल के साथी ने सेब की खेती के बारे में बताया था। तब मैंने पूरी जानकारी करने के बाद पचास पौधों को मंगवाया। जिसमें तीन पौधे खराब हुए 47 पौधे तैयार है। फिर जानकारी मिली कि कलकत्ता की एक नर्सरी में विदेश के नामचीन पौधों की बिक्री होती है। मैं वहां जाकर पौधों को देखा और अपनी वाटिका में लाकर लगाया। आज विदेशी जलवायु में उत्पन्न होने वाले पौधे तैयार हैं। सभी पौधे यहां के वातावरण में प्रचुर मात्रा में फल दे रहे हैं।