सियासी उलटफेर से बढ़ी जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पाने की टेंशन
पंचायत चुनाव में स्मृति की अमेठी में सपा ने दी भाजपा को कड़ी टक्कर। निर्दलियों के हाथ में जिले की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचे की चाभी।
दिलीप सिंह, अमेठी
छत्तीस सदस्यों वाली जिला पंचायत में अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे के लिए किसी भी दल के उम्मीदवार नहीं जीते हैं। सपा अपनी कुर्सी किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती है तो भाजपा हर हाल में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने की चाहत रखती है। कांग्रेस व बसपा भी जोड़-तोड़ कर जिले की सबसे बड़ी कुर्सी अपने पाले में करना चाहती हैं। इसके लिए सभी ने कवायद भी शुरू कर दी है।
पंचायत चुनाव की सियासी रणभूमि में सांसद स्मृति की अमेठी में सपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। पहली बार जिले की सभी 36 जिला पंचायत की सीटों पर पार्टी ने अपने चुनावी योद्धा उतारे थे, मगर मैदान जीत कर सिर्फ आठ ही विजेता बन पाए हैं। वहीं, 28 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है, वह भी तब जिले की चार विधान सभा क्षेत्रों में से तीन पर भाजपा का कब्जा है। पार्टी का एक बागी भी चुनाव जीतने में सफल हुआ है। वहीं, सपा ने दस सीटों पर जीत दर्ज की है। अमेठी जिला गठन के बाद पहली बार यहां कांग्रेस का जिला पंचायत अध्यक्ष चुना गया था।
2015 में हुए चुनाव में गौरीगंज के सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह की रणनीति के आगे सब फेल हो गए थे और उन्होंने शिवकली मौर्य को निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था। इस बार भी सपा ने जीत की जिम्मेदारी गौरीगंज विधायक को ही सौंपी है। पूरी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मचे घमासान में उन्हीं के पीछे खड़ी है तो भाजपा ने उद्योगपति व समाजसेवी राजेश अग्रहरि को अपनी सेना का सेनापति बनाकर मैदान में उतार दिया है।
अभी तक इस बात की अधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई है पर दोनों ही दल अपने-अपने सेनापतियों के साथ मैदान में उतर पड़े हैं। कोरोना संक्रमण के जीते हुए सदस्यों को रिझाने व पटाने का सिलसिला शुरू हो गया है। कांग्रेस, बसपा भी अपनी रणनीति बनाने में लगी हुई हैं। लेकिन, उनकी संख्या इतनी नहीं है कि वह सीधे मैदान में आ सकें। ऐसे में सभी जोड़-तोड़ के खेल में अभी से ही लग गए हैं।
नतीजों पर एक नजर :
कुल सीट : 36
भाजपा : 08
सपा : 10
बसपा : 03
कांग्रेस : 02
अन्य : 13