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श्रीकृष्ण के गुणों की प्रशंसा सुनकर रुक्मिणी हुई थीं प्रभावित

श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की। मेदन मवई गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए लोग उमड़ रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 02:05 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 02:05 AM (IST)
श्रीकृष्ण के गुणों की प्रशंसा सुनकर रुक्मिणी हुई थीं प्रभावित
श्रीकृष्ण के गुणों की प्रशंसा सुनकर रुक्मिणी हुई थीं प्रभावित

अमेठी : विकास क्षेत्र के मेदन मवई गांव में नव दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव चल रहा है। कथा के आठवें दिन जगदगुरू रामानुजाचार्य उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया। स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज के मुखार बिंदु से श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह सुन भावविभोर हुए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा करते हुए उनका अभिनंदन किया।

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कथावाचक ने कहा कि रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात माता लक्ष्मी जी का अवतार थीं। रुक्मिणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से प्रभु श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो मन ही मन प्रभु श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणि का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणि को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक संदेशवाहक से श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे। वहां बरात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मिणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। प्रभु श्रीकृष्ण द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में प्रभु श्रीकृष्ण ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। उसके बाद प्रभु श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मिणी से विवाह किया। इस अवसर पर गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह, पं.जगदंबा प्रसाद त्रिपाठी, सतीश श्रीवास्तव, तीरथराज मिश्र, राकेश मिश्र, दिनेश मिश्र, दीपक श्रीवास्तव, उग्रसेन सिंह, रजनीश श्रीवास्तव, प्रशांत चंद कौशिक उर्फ रानू सिंह, राम प्रकाश मिश्र मटियारी, रमेश मिश्र, रवि मिश्र समेत सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया।


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