तिलोई में राजघराना ही लहरा सका भगवा
राजघराने के अलावा किसी दूसरे को उतारने पर नहीं मिली जीत।
अग्निवेश मिश्र,सिंहपुर,(अमेठी) : जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में तिलोई की राजनीति सबसे जुदा है। पार्टी और प्रत्याशी के चयन को लेकर मतदाताओं की सोच भी बिल्कुल अलग है। यहां जनता ने पार्टी के बजाय चेहरे को सबसे अधिक महत्व दिया है।
अधिकांश समय तक कांग्रेस के वशी नकवी लोगों की पसंद बने रहे। इसके पश्चात तिलोई राजघराने के मोहन सिंह व बाद में इनके पुत्र मयंकेश्वर शरण सिंह ने जनता के दिलों पर राज किया। सबसे अधिक आठ बार कांग्रेस, चार बार भारतीय जनता पार्टी और दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी विजयी हुए हैं। कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली इस विधानसभा सीट पर अगर कोई भगवा लहरा सका, तो वह राजघराना ही है। 1969 में पहली बार जनसंघ के टिकट पर मोहन सिंह चुनाव जीते। इसके पश्चात तीन बार मयंकेश्वर शरण सिंह ही भाजपा को इस सीट पर जीत दिला सके हैं। भगवा ब्रिगेड ने जब-जब राजघराने से इतर दूसरे चेहरे को मैदान में उतारा तो जनता ने उसे नकार दिया। जनसंघ और जनता पार्टी के विलय पश्चात 1980 से 91 तक के सभी चुनावों में भाजपा का चेहरा रहे पंडित रामगोपाल त्रिपाठी को हार का सामना करना पड़ा। 1993 में राजघराने के वारिस मयंकेश्वर शरण सिंह के रूप में नए चेहरे पर लगाया गया भाजपा का दांव सही साबित हुआ। उन्होंने 13 वर्ष के बनवास को समाप्त कर तिलोई में भाजपा की वापसी कराई । 2002 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा का परचम लहराया। वहीं 2007 के चुनाव में भाजपा ने पार्टी के तत्कालीन जिलाध्यक्ष श्रीकांत मिश्र के असमय निधन के बाद उनके बेटे धर्मेश कुमार को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में पार्टी चौथे पायदान पर खिसक गयी। भाजपा प्रत्याशी को महज 6810 (4.8 प्रतिशत) वोट ही मिले और वह जमानत भी नहीं बचा सके। 2012 में भाजपा उम्मीदवार महेंद्र सिंह भी जीत दिलाने में कामयाब नहीं हुए। 2017 में एक बार फिर मयंकेश्वर शरण सिंह को भाजपा ने उतरा। उन्होंने जीत पार्टी की झोली में डाल दी।
- भाजपा के प्रत्याशी 1969 - मोहन सिंह (जनसंघ) (जीते)
1993- मयंकेश्वर शरण सिंह (जीते) 1996 -मयंकेश्वर शरण सिंह (हारे) 2002- मयंकेश्वर शरण सिंह (जीते) 2017-मयंकेश्वर शरण सिंह (जीते) -राजघराने से इतर भाजपा प्रत्याशी 1967- आरके अवस्थी(जनसंघ) (हारे)
1980- रामगोपाल त्रिपाठी ( हारे ) 1985-रामगोपाल त्रिपाठी ( हारे ) 1989-रामगोपाल त्रिपाठी ( हारे ) 1991-रामगोपाल त्रिपाठी ( हारे ) 2007- धर्मेश कुमार (हारे) 2012- महेंद्र सिंह (हारे)