दो दशक से आधा दर्जन माइनरों को पानी का इंतजार
बाजारशुकुल : आजादी केपूर्व से क्षेत्र में बिछा नहरों का जाल आज किसानों के लिए किसी मकड़जाल
बाजारशुकुल : आजादी केपूर्व से क्षेत्र में बिछा नहरों का जाल आज किसानों के लिए किसी मकड़जाल से कम नहीं है। कृषि क्षेत्र होने के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने यहा किसानों को खेती करने के लिए सुबेहा रजबहा के रूप में जो सौगात दी थी, आज वहीं किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रही है। सिंचाई विभाग की खंड 28 द्वारा पोषित इन्हौना, सुबेहा व गिरावा रजबहा समेत दो दर्जन माइनर इस क्षेत्र की कृषि को हरा भरा रखने के लिए संघर्ष कर रही है। इनमें से सुबेहा व गिरावा रजबहा की हालत दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है। पिछले कई वषरें से पानी नही ंआया होगा। नहरों व माइनरों में उगी झाड़ी भी दो बूंद पानी को तरस रही हैं। इस समय जब किसान को पानी की जरूरत है, तो उक्त दोनों नहरों में पानी नही है। इनसे निकलने वाली किसनी, टेवसी, तेंदुआ, बूबूपुर, माझगांव, सेवरा, शिवली, मरदानपुर, सिधौली, सिंघनामऊ आदि अल्पिकाओं में तो पिछले दो दशक से पानी नही जा रहा है।
किसानों की भी सुनिए
हरखूमऊ गांव के किसान राम नरायन ने बताया कि गिरावा रजबहा में पिछले कई साल से टेल तक पानी नहीं पहुंचा, जिससे किसानों की खेती किसानी चौपट हो गयी है। पासिन का पुरवा निवासी किसान राम प्रसाद के अनुसार जब तक नहरों में पानी आता था। तब तक खेती करने में आसानी मिलती थी, किंतु अब पानी के अभाव में खेती करना मुश्किल हो गया है। यही हाल किसान राम प्रसाद व अंजनी कुमार पांडेय ने बताया कि सिचाई के लिए प्राइवेट नलकूप का सहारा लेना पड़ता है।
बोले जिम्मेदार
अधिशाषी अभियंता सिचाई खंड 28 जीसी सिंह ने बताया कि गिरावा रजबहा की सिल्ट सफाई के लिए बजट मिला है, जल्द ही सफाई शुरू कराई जाएगी। अन्य के लिए बजट की डिमांड की गई है। नवंबर माह तक पानी मिलना संभव नहीं है। पानी ऊपर से ही नहीं छोड़ा जा रहा है।