स्नेह, त्याग व समर्पण का त्योहार है भैया दूज
बहनों ने भाई के माथे पर हल्दी-चंदन का तिलक कर उनकी लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना की। सैठा के पठानपुर गांव निवासी सुकीर्ति शुक्ला वार्ड नंबर 24 में निधि आवंतिका आदि भैया दूज त्यौहार मनाने के लिए काफी उत्साहित रही।
अमेठी : भाई-बहन के स्नेह, त्याग और समर्पण का प्रतीक भैयादूज त्योहार हर्षोल्लस के साथ मनाया गया। जहां रक्षाबंधन पर्व पर भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते है। तो वहीं भैया दूज पर्व पर बहनें भाईयों के दीर्घायु होने की प्रार्थना ईश्वर से करती है।
बहनों ने भाई के माथे पर हल्दी-चंदन का तिलक कर उनकी लंबी उम्र और सुख, समृद्धि की कामना की। सैठा के पठानपुर गांव निवासी सुकीर्ति शुक्ला, वार्ड नंबर 24 में निधि, आवंतिका आदि भैया दूज त्यौहार मनाने के लिए काफी उत्साहित रही। विधि विधान से शुभ मुहुर्त में भाई को हल्दी-चंदन से तिलक कर उनका माथा अलंकृत किया। भाईयों का मुंह मीठा कर बहनों ने ईश्वर से उनकी दीर्घायु, यश, कीर्ति, सुख व समृद्ध जीवन की कामना की। बहनों के इस अटूट प्रेम से भाई भी पीछे नहीं रहे। भाईयों ने बहनों को उपहार भेंट कर उन्हें आजीवन रक्षा एवं सहयोग का वचन दिया। भाई-बहन के स्नेहिल व्यवहार देखकर बड़े बुजुर्ग भी गदगद दिखे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज को कई बार उनकी बहन यमुना ने मिलने बुलाया था, लेकिन यम जा ही नहीं पाए। एक दिन अचानक यमराज अपनी बहन से मिलने पहुंच गए। उन्हें देख यमुना बेहद खुश हुईं। यमुना ने यमराज का बड़े ही प्यार से आदर-सत्कार किया। यमराज का तिलक पर उनकी खुशहाली की कामना की। साथ ही उन्हें भोजन भी कराया। यमराज इससे बेहद खुश हुए। उन्होंने अपनी बहन को वरदान मांगने को कहा। यमुना ने हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को जो भाई अपनी बहन के घर जाएगा और तिलक करवाएगा। उसे यम व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा ऐसा वरदान मांगा। जिसे यमराज ने पूरा किया। तभी से भाई दूज का यह त्यौहार मनाया जाने लगा।