भारतीय सेना अब अमेठी निर्मित AK-47 से करेगी दुश्मनों का खात्मा, जानिए खासियत
देश में पहली बार बनेगी क्लाश्निकोव असॉल्ट राइफल, 7.47 लाख असॉल्ट राइफल के निर्माण को मिली मंजूरी।
अमेठी, [दिलीप सिंह]। दशकों तक विकास से अछूता रहा राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र अमेठी अब जल्द ही सेना के जवानों के लिए मेक इन इंडिया के तहत एके-47 असॉल्ट राइफल के लिए जाना जाने लगेगा। राहुल की संसदीय क्षेत्र में मोदी सरकार ने AK-47 की फैक्ट्री लगाने का दांव खेला है। बता दें कि कलाश्निकोव राइफल AK-47 का लेटेस्ट वर्जन है। ये फैक्ट्री रूस की एक कंपनी और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड साथ मिलकर बनाएगी, जिसमें 7.47 लाख कलाश्निकोव राइफल बनाई जाएगी। उम्मीद है कि 28 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेठी पहुंचकर प्लांट की आधारशिला रखेंगे। जानकार बताते हैं कि कोरवा स्थित फैक्ट्री में निर्मित ये राइफलें खासकर चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात सैनिकों को दी जा सकती हैं, जो कि आने वाले समय गेमचेंजर साबित होंगी।
हर साल 45 हजार गन निर्माण का दावा
ऑर्डनेंस फैक्ट्री कोरवा के आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि यहां हर साल 45 हजार क्लोज क्वार्टर बैटल कारबाइन का निर्माण करने का लक्ष्य तय है। इसमें 20 हजार 5.56 एमएम इंसास राइफल, पांच-पांच हजार पिस्टल, रिवॉल्वर व स्पोर्ट्स राइफल का निर्माण होता है।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से भाजपा उत्साहित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेठी आगमन के कार्यक्रम के मद्देनजर भाजपा में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। फिलहाल कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
राहुल गांधी ने रखी थी फैक्ट्री की आधारशिला
मेक इन इंडिया प्रोग्राम के साथ स्थापित होने वाले प्लांट की आधारशिला समारोह को ऐतिहासिक बनाने में पूरा सिस्टम जुटा हुआ है। अमेठी में ऑर्डनेंस फैक्ट्री स्थापित करने की रूपरेखा 2007 में भारत सरकार ने बनाई थी। अक्टूबर 2010 में सांसद राहुल गांधी ने फैक्ट्री की आधारशिला रखी। जबकि 408.01 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली इस फैक्ट्री को सिविल वर्क के लिए 2014 में 48 करोड़ की रकम और जारी की गई।
अमेठी में लगे प्लांट
- हिन्दुस्तान एरोनाटिकल लिमिटेड (एचएएल)
- इंडोगोल्फ फर्टिलाइजर
- बीएचईएल प्लांट
- इंडियन ऑयल यूनिट
- फूड प्रोसेसिंग इकाई
- रेल नीर प्लांट
- एसीसी
तो ये है AK-47 की खासियत
AK-47 वह हथियार है, जिससे पानी के अंदर से हमला करने पर भी गोली सीधे जाती है। गोलियों की गति इतनी तेज होती है, कि पानी का घर्षण भी उसे कम नहीं कर पाता है। यह बेहद सिपंल राइफल है और बहुत आसानी से इसका निर्माण किया जा सकता है, इसलिए दुनिया में यह एक मात्र ऐसी राइफल है, जिसकी सबसे ज्यादा कॉपी की गई है। यह एक मात्र ऐसा हथियार है, जो हर प्रकार के पर्यावरण में चलाया जा सकता है और एक मिनट के अंदर इसे साफ किया जा सकता है। इस राइफल में पहले की सभी राइफल तकनीकों का मिश्रण है। अगर विस्तार से देखें तो इसके लोकिंग डिजाइन को एम1 ग्रांड राइफल से लिया गया है। इसका ट्रिगर और सेफ्टी लॉक रेमिंगटन राइफल मॉडल 8 से लिया गया है, जबकि गैस सिस्टम और बाहरी डिजाइन एस.टी.जी.44 से लिया गया है।
AK-47 नाम पीछे जानिए रहस्य
ये मिखाइल का ऑटोमैटिक हथियार है, इसलिए इसका नाम दिया गया आवटोमैट कलाशनिकोवा, जिसे बाद में ऑटोमैटिक कलाश्निकोव कहा जाने लगा। शुरुआती मॉडल में कई दिक्कतें थीं, लेकिन साल 1947 में मिखाइल ने आवटोमैट कलाशनिकोवा मॉडल को पूरा कर लिया। बोलने में मुश्किल होने की वजह से इसे संक्षिप्त कर AK-47 कहा जाने लगा। AK के सिर्फ AK-47 मॉडल ही नहीं है अब तो इसके कई मॉडल बाजार में उपलब्ध हैं । जिसमें AK-74, AK-103 के आलावा कई शामिल हैं।