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डेढ़ दशक बाद भी नहीं बन सका ककवा क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज

अमेठी : लखनऊ-वाराणसी रेलखंड पर पड़ने वाले शहर में ककवा रोड गुजरी है। यह शहर का सबसे व्यस्त मार्ग भी ह

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 01:00 AM (IST)
डेढ़ दशक बाद भी नहीं बन सका ककवा क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज
डेढ़ दशक बाद भी नहीं बन सका ककवा क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज

अमेठी : लखनऊ-वाराणसी रेलखंड पर पड़ने वाले शहर में ककवा रोड गुजरी है। यह शहर का सबसे व्यस्त मार्ग भी है। प्रतिदिन इस मार्ग से दो लाख से अधिक की आबादी का आवागमन भी होता है। मार्ग पर पड़ने वाली रेलवे क्रॉसिंग गेट संख्या 102 पर जाम की समस्या भी आम है। इस पर ओवरब्रिज की मांग वर्ष 2000 से हो रही। स्वीकृति मिलने के बाद भी आज तक निर्माण नहीं शुरू हो सका है, जबकि इसके लिए कई बार रेल रोको आंदोलन के साथ प्रदर्शन भी हो चुके हैं।

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शहर के बीच से गुजरे इस मार्ग से क्षेत्र के साथ-साथ रायबरेली और प्रतापगढ़ जाने के लिए बड़े पैमाने पर वाहनों की आवाजाही होती है। लखनऊ-वाराणसी रेलमार्ग पर अमेठी रेलवे स्टेशन के बाद पहली क्रॉसिंग पड़ती है। इस रेलखंड पर 30 ट्रेनों का आवागमन भी होता है। ट्रेन की आवाजाही के कारण क्रॉसिंग काफ समय के लिए बंद हो जाती है।

क्रॉसिंग बंद होने के कारण मार्ग पर जाम लगना आम हो गया है। गाधी चौक से रेलवे क्रॉसिंग की दूरी महज पाच सौ मीटर है, जिसे पार करने में लोगों को कई घटे लग जाते हैं। सीएचसी भी इसी मार्ग पर होने के कारण एंबुलेंस का फं सना भी आम बात हो गई है। बीते दस वषरें में एंबुलेंस जाम में फं सने से प्रसव के लिए लाई जा रही महिलाओं की अस्पताल में देरी से पहुंचने से मौत भी हो चुकी है। रेलवे के अधिकारियों के हर दौरे में इस समस्या को लोग उठाते हैं। उनको महज शीघ्र निर्माण के आश्वासन की घुट्टी दी जाती है।

कई बार हो चुका है प्रदर्शन

ओवरब्रिज की माग को लेकर बीते डेढ़ दशक में दर्जनों बार लोगों ने प्रदर्शन किया। हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। रेल रोको अभियान चला। यहां तक की लोगों के प्रदर्शन करने पर ओवरब्रिज की माग पूरी भले नहीं हुई, इसके बदले लाठी और मुकदमा जरूर मिला। बीते लोकसभा और विधानसभा में यह चुनावी मुद्दा भी था। देश से लेकर प्रदेश तक कि सरकार भले बदली, लेकिन ओवरब्रिज की माग कभी पूरी नहीं हुई।

जमकर हुई राजनीति

वर्ष 2010 में लोगों की माग पर ओवरब्रिज रेलवे की ओर से स्वीकृत हुआ। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से रेलवे ने एनओसी की माग की। कई वषरें तक फ ाइल जिलाधिकारी कार्यालय की शोभा बढ़ाती रही, लेकिन एनओसी नहीं दी गई। वर्ष 2016 में एनओसी दी गई। इसके बाद भी निर्माण कार्य का श्री गणेश नहीं हुआ।


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