अकबरपुर विधान सभा क्षेत्र की नब्ज कुछ अलग
अंबेडकरनगर लखनऊ से दिल्ली तक अपनी विजय पताका फहराने वाली भाजपा के लिए अकबरपुर की सिया
अंबेडकरनगर: लखनऊ से दिल्ली तक अपनी विजय पताका फहराने वाली भाजपा के लिए अकबरपुर की सियासी जमीन अब तक बंजर ही साबित होती रही है। विधानसभा चुनावों में यहां एक बार भी कमल नहीं खिल सका, जबकि सूबे की राजनीति में हमेशा से हाशिए पर रही सीपीएम और शिवसेना जैसे दलों के नेताओं को भी यहां की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेजा। एक बार फिर भाजपा यहां अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करती दिख रही है।
बसपा के गढ़ के रूप में मशहूर अंबेडकरनगर की पांचों विधानसभा सीटों में एक पर भी कभी भाजपा के लिए स्थितियां बहुत अनुकूल नहीं रही हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं रहा कि उसे जीत के लिए तरसना पड़ा हो। कभी एक तो कभी दो सीट पार्टी की झोली में गिरती रही, पर अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में उसे यह खुशी आज तक नसीब नहीं हुई। गाजीपुर से गाजियाबाद तक भाजपा की आंधी के बीच 2017 में हुए चुनाव में भी यहां से पार्टी के उम्मीदवार रहे चंद्रप्रकाश वर्मा को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा, जबकि जीत बसपा के खाते में गई। इससे पहले के चुनावों में भी भाजपा कभी दूसरे तो कभी तीसरे नंबर की पार्टी रही। लोकतंत्र के इस महासमर में पार्टी की साख जमती कि यहां से पिछली बार उम्मीदवार रहे चंद्रप्रकाश वर्मा ने चंद दिनों पहले कमल छोड़ हाथी की सवारी कर ली। अब भाजपा एक बार फिर नए चेहरों के सहारे है। पार्टी को यहां कोई दमदार नेता ढूंढने से नहीं मिल रहा है। अभी तक जो नाम उभरकर सामने आए हैं, उनमें दशकों तक बसपा के सिपहसालार रहे राजीव कुमार तिवारी, विमलेंद्र प्रताप सिंह मोनू, संतोष कुशवाहा, रामचंद्र उपाध्याय, ज्ञानसागर सिंह आदि शामिल हैं। शिवसेना और सीपीएम तक को दिया मौका: अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने सन 1985 और 89 के चुनावों में यहां से दो बार सीपीएम के अकबर हुसैन बाबर व 1991 में शिवसेना के पवन कुमार पांडेय को अपना नेता चुनकर लखनऊ भेजा, जबकि इन दलों का पूरे सूबे में कभी भी कोई खास वजूद नहीं रहा है, ऐसे में भाजपा के लिए राजनीतिक निराशा
उसके चुनावी रणनीति पर भी सवाल खड़े करती है। केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार की उपलब्धियां जन-जन तक पहुंची हैं। बिना किसी भेदभाव के सभी को एक बराबर लाभ मिला है, इसकी स्पष्ट झलक चुनाव में दिखेगी। इस बार यह सीट जीतने के लिए जीतोड़ प्रयास किया जा रहा है।
डा. मिथिलेश त्रिपाठी, भाजपा जिलाध्यक्ष