मवेशियों के लिए चारा का इंतजाम करना बेहद कठिन
बाढ़ के बाद की मुसीबतों से ग्रामीण जूझ रहे हैं। पशुपालन पर जीविका का आधार टिका है।
अंबेडकरनगर : घाघरा नदी की बाढ़ का खतरा टलने के बाद भी मुसीबत अभी कम नहीं हुई है। तटीय इलाकों में बसने वाले लोगों की जीविका हर साल बाढ़ के पानी से तहस-नहस होती रहती है। ऐसे में पशुपालन जिदगी को आगे बढ़ाने का आधार बनता है। ज्यादातर परिवारों में मवेशियों की संख्या भी काफी है। फिलहाल इनके लिए चारा का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है। दरअसल, बाढ़ में फसल और चारा नष्ट हो चुका है। सरकारी मदद में मिलने वाला भूसा भी चंद दिनों ही चला। अब मवेशियों के लिए चारे के संकट से मांझा क्षेत्र के ग्रामीण परेशान हैं। टांडा तहसील के उत्तरी सीमा से होकर बह रही घाघरा नदी की विनाशकारी बाढ़ से राहत मिली है। इससे मांझा क्षेत्र के उल्टहवा, कला, अवसानपुर करमपुर व बरसावा आदि गांव की आबादी से पानी उतर गया है।
बाढ़ का पानी सूखने का इंतजार : गांव के बाहर गड्ढों, रास्तों में कहीं-कहीं पानी अभी भी भरा है। ऐसे में मवेशियों के चारे का प्रबंध करना कठिन है, जिन्हें चराने जाने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से बाढ़ के समय प्रति मवेशी पांच-पांच किलोग्राम बांटा गया भूसा ऊंट के मुंह में जीरा रहा। सर्वाधिक प्रभावित गांव मांझा उल्टहवा गांव के पवन यादव, विजय यादव, राम सुरेमान ने बताया कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी हमारी परेशानियां कम नहीं हुई हैं। पशुपालन यहां के लोगों के आय का मुख्य साधन है। ऐसे में चारे के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
घाघरा नदी का बढ़ने लगा जलस्तर : घाघरा नदी का जलस्तर छह सेंटीमीटर बढ़ा है। शुक्रवार के सापेक्ष शनिवार को दोपहर दो बजे जलस्तर 91.430 मीटर दर्ज किया गया। बहरहाल, नदी खतरे के लाल निशान 92.730 मीटर से 1.30 मीटर नीचे है।
सुबह-शाम राहत और दिनभर उमस : तापमान में उतार-चढ़ाव से जनजीवन बेहाल है। शनिवार को भी सुबह से ही धूप और छांव का सिलसिला शुरू हुआ। दिन चढ़ने के साथ ही चिपचिपी गर्मी एवं उमस ने बेहाल कर दिया। जिले में अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में रोजाना बारिश का अनुमान लगाया है।