तीन गुना बढ़ी ऑक्सीजन की खपत
मेडिकल कॉलेज के एल-टू हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत है। जिला चिकित्सालय में भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित है।
अंबेडकरनगर : कोरोना काल में सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा खपत देखी गई। जबकि निजी अस्पतालों में आक्सीजन की जरूरत में मामूली वृद्धि हुई है। वहीं, ज्यादातर अस्पतालों में आक्सीजन सिलिडर से ही काम चलाया जा रहा है।
जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए प्लांट स्थापित है। लेकिन, सभी वार्डो में पाइपलाइन की सुविधा नहीं होने के चलते यहां भी सिलिडर के जरिए ही मरीजों को आक्सीजन मुहैया कराया जा रहा है। इसके लिए आपूर्ति सीधे बाजार से की जा रही है। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीएन यादव ने बताया कि लॉकडाउन के चलते मार्च-अप्रैल में मरीजों के कम आने की वजह से प्रतिदिन औसतन दो सिलिडर खर्च होता था जो अब बढ़कर आठ से 10 तक पहुंच गया है।
कम मरीज आने से बीच में घटी थी मांग : मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के कारण सामान्य ऑपरेशन के मामले व दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई, जिससे आक्सीजन की मांग में भी कमी आई। हालांकि जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती नवजात शिशुओं को ऑक्सीजन लगाना पड़ता था। हालांकि खपत दो सिलिडर तक ही सीमित रही।
मेडिकल कॉलेज में सबसे ज्यादा है खपत : मेडिकल कॉलेज में भी ऑक्सीजन प्लांट है, इसके जरिए अधिकतर वार्डो में सप्लाई की जाती है। मार्च-अप्रैल में रोजाना यहां भी लगभग 15 सिलिडर खर्च होता था। लेकिन अगस्त-सितंबर में यहां भर्ती होने वाले कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जिससे आक्सीजन की खपत भी बढ़ी। अब यहां प्रतिदिन लगभग 30 आक्सीजन सिलिडर खर्च हो रहा है।
550 रुपये तक मिल रहा सिलिडर : जिला चिकित्सालय में बाराबंकी तथा सभी सीएचसी में सुल्तानपुर के व्यापारी ऑक्सीजन सिलिडर की आपूर्ति करते हैं। एक व्यापारी ने बताया कि छोटा सिलिडर 250 रुपये तथा बड़ा सिलिडर साढ़े पांच सौ रुपये तक में बिक रहा है, जो कि पहले से औसतन 100 रुपये ज्यादा है।
निजी अस्पतालों में खपत जस की तस : नर्सिंग होम एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष आरसी गुप्ता ने बताया कि निजी अस्पतालों में गंभीर मरीज बहुत कम भर्ती होते हैं। ऐसे में कोरोना काल में आक्सीजन की खपत में कोई खास अंतर नहीं है।
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सीएमओ डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि मरीजों को जब ऑक्सीजन की जरूरत होती है तो उसे प्राथमिक इकाई से उच्च संस्थान को रेफर किया जाता है। इसलिए सीएचसी और पीएचसी में दो से तीन सिलिडर रखे गए हैं। बाकी जरूरत होने पर बाजारों से क्रय किया जाता है। जिले में इस समय ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। कोविड हॉस्पिटल में बीते दो माह में रोजाना 30 सिलिडर खर्च हो रहे हैं।