मिट्टी के खिलौनों से जीवन संवार रहीं सोनिया
स्वयं सहायता समूह से जुड़ पुश्तैनी कारोबार को नया आकार दिया। गांव व स्थानीय बाजार में स्टाल लगाकर खिलौने बेचेंगी।
अंबेडकरनगर : दीपावली में चायनीज झालरों के साल दर साल घटते कारोबार से बाजार में मिट्टी निर्मित दीये की मांग बढ़ रही है। घरों को रोशन करने के लिए एक सप्ताह पहले से ही दीयों की बुकिग शुरू हो गई है। धार्मिक अनुष्ठान आदि के लिए भी कच्चे बर्तनों की मांग बढ़ी है। इससे कुम्हारी के पुश्तैनी पेशे से जुड़े लोगों के जीवन में नया सबेरा आया है।
टांडा विकास खंड की अरखापुर निवासी सोनिया के पति राजेश का कुम्हार का पुश्तैनी पेशा है। हालांकि इससे बामुश्किल परिवार का खर्च चल पाता है। पति के कारोबार को आधुनिक रूप देने में पैसे की कमी आड़े आ रही थी। गांव की कुछ महिलाओं से सोनिया को स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी मिली। कारोबार बढ़ाने के लिए सोनिया स्वयं सहायता समूह के तहत गंगा आजीविका मिशन की सदस्य बन गईं। सोनिया ने समूह से कर्ज लेकर मिट्टी के खिलौने बनाने के बंद पड़े कारोबार में फिर से जान डाली। अब दीपावली के नजदीक आते ही स्वरोजगार का रंग चटख दिखने लगा है। मिट्टी के बने दीपक, हाथी, कछुआ व गुल्लक आदि रंग-रोगन के बाद इनकी सुंदरता देखते ही बन रही है। अब तक पति और बेटियों के साथ मिलकर सोनिया करीब 15 हजार खिलौने तैयार कर चुकी हैं।
गांव और स्थानीय बाजार में बेचेंगे खिलौने : खिलौने बनकर तैयार हैं। गांव के साथ ही मुख्य बाजार टांडा में कई स्थानों पर स्टाल लगाकर दीपक के साथ मिट्टी के रंग-बिरंगे खिलौनों की बिक्री की जाएगी। इससे हुई आमदनी से सोनिया खुद के साथ अपने परिवार की दिवाली रोशन करेंगी।
उपायुक्त राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन आरबी यादव ने बताया कि दीपावली पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे मिट्टी के खिलौनों की स्थानीय बाजार में स्टाल लगाकर बिक्री कराई जाएगी।