साप्ताहिक लॉकडाउन को देखते हुए खूब हुई राखी की खरीदारी
गईं। हालांकि चीन से रिश्तों में तनाव के बढ़ने के बाद बाजार में स्वदेशी राखियों की धूम है। लोकल पर वोकल की पहल के चलते दुकानदारों ने भी चाइनीज राखियों को बेचने से पूरी तरह दूरी बना ली है। चाइनीज राखियों के मुकाबले वैरायटी भले ही कम हो इसके बावजूद बहनों की पसंद स्वदेशी राखियां ही हैं।
अंबेडकरनगर : भाई-बहन के आपसी प्रेम का त्योहार इस बार स्वदेशी राखियों से मनाई जाएगी। शनिवार को साप्ताहिक लॉकडाउन को देखते हुए शुक्रवार को ही महिलाओं के साथ युवतियां बाजारों में राखी की खरीदारी करते देखी गईं। हालांकि चीन से रिश्तों में तनाव के बढ़ने के बाद बाजार में स्वदेशी राखियों की धूम है। लोकल पर वोकल की पहल के चलते दुकानदारों ने भी चाइनीज राखियों को बेचने से पूरी तरह दूरी बना ली है। चाइनीज राखियों के मुकाबले वैरायटी भले ही कम हो इसके बावजूद बहनों की पसंद स्वदेशी राखियां ही हैं। शहजादपुर निवासी काजल कहती हैं कि चीन की कायराना हरकत से देश के 20 वीर जवान की शहादत को अभी लोग भूले नहीं पाए हैं। सरकार की तरफ से चीनी सामानों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। जब से देश में चीनी एप पर प्रतिबंध लगा है। इसका असर बाजारों में भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार पर भी दिखाई दे रहा है। बाजार में 20 रुपये से लेकर 200 रुपये और इससे अधिक के रेंज में भी स्वदेशी राखी बाजारों की रौनक बढ़ा रहीं हैं। दुकानदार राजकुमार ने बताया कि कोलकाता, जयपुर और दिल्ली की राखियां ही बेची जा रहीं हैं।