अभियान : नियमों के पालन में अड़चनें अपार, मशीनरी लाचार
-वाहनों का बोझ उठाने में सड़कों की क्षमता सीमित -यातायात नियमों के पालन कराने का नहीं इ
-वाहनों का बोझ उठाने में सड़कों की क्षमता सीमित
-यातायात नियमों के पालन कराने का नहीं इंतजाम
-चित्र : 28 एएमबी 8, 9, 10
संसू, अंबेडकरनगर : यातायात निमयों का पालन कराने में अड़चनें अपार हैं। सरकारी मशीनरी इसके आगे लाचार है। अकबरपुर नगर पालिका में तिराहों पर स्थान का अभाव होने से यातायात नियमों के पालन की उम्मीदों पर स्थाई ग्रहण लगा है। यहां सुरक्षित सफर के नियम और कानून धरे के धरे रह जाते हैं। लिहाजा चालकों को उचित लेन में चलने के लिए बाध्य करना कठिन है। पटेलनगर, पुरानी तहसील, शहजादपुर, बस अड्डा, मालीपुर मार्ग, जलालपुर मार्ग समेत दोस्तपुर मार्ग के तिराहों पर वाहन आमने-सामने होते हैं। वाहनों के बढ़ते बोझ को समेटने में सड़कों का दायरा कम पड़ रहा है। फुटपाथ पर अतिक्रमण से यह मुसीबत विकराल नजर आती है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों से निपटने में सख्ती को भ्रष्टाचार रास्ता दिखता है।
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कमजोर इच्छाशक्ति और बेबसी बाधक : यातायात नियमों का पालन कराने में कमजोर इच्छा शक्ति और अभाव की बेबसी बाधक बनती है। पुलिस और परिवहन विभाग के लिए व्यापक मनमानी को रोकना बेहद कठिन लगता है। यातायात नियमों का हर कदम पर उल्लंघन होता देखने के बाद भी कार्रवाई को लेकर सरकारी मशीनरी हिम्मत नहीं जुटा पाती। वजह कार्रवाई बढ़ने पर वाहनों की भीड़ लग लगाएगी। इससे कानून व्यवस्था में खलल पड़ सकता है। इससे डर कर अधिकारी चंद वाहन चालकों में खास कर बाइक सवारों का चालान काटने तक सीमित रह जाते हैं। सख्त कार्रवाई में वाहनों को सीज करने पर इसे रखने के लिए स्थान नहीं मिलेगा। वाहन चालक हादसों की भयावहता को देखने के बाद भी लापरवाही बरतते हैं। नियमों का पालन करने में चालक और अभिभावक मजबूत इच्छाशक्ति नहीं दिखाते हैं।
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संसाधनों की कमी बनती रोड़ा : सुरक्षित यातायात की मंशा साकार करने में संसाधनों की कमी भी रोड़ा बनती है। मानव संसाधन कम होने से परिवहन विभाग कार्यालय के काम में उलझा रहता है। सड़क पर चेकिग के लिए इक्का-दुक्का अधिकारी ही निकल पाते हैं। यातायात पुलिस आवागमन को बहाल करने में पसीना बहाती रहती है, तो सिविल पुलिस कानून और शांति व्यवस्था मुकम्मल रखने में ही परेशान दिखती है।
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लाइसेंस देने में मांगते मानक: नया ड्राइविग लाइसेंस जारी करने में परिवहन विभाग के अधिकारी मानकों को पूरा कराने पर जोर देते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के बाद नियमों की जानकारी होने की परीक्षा होती है। इसके आधार पर लर्निंग लाइसेंस जारी होता है। इसमें चालक के कंप्यूटर संचालन में दक्ष नहीं होने पर परीक्षा देते समय तमाम आवेदक फेल हो जाते हैं। इसके बाद वाहन चलाने की परीक्षा लेकर स्थाई लाइसेंस जारी होता है। चालकों को वाहन साथ लेकर आने के लिए कहा जाता है। बाइक और कार लेकर नहीं आने पर परीक्षा से वंचित कर दिया जाता है। इससे इतर भ्रष्टाचार का दीमक भी लाइसेंस जारी होने की सुरक्षा में सेंध लगाता मिलता है। वजह कार्यालय अवधि में परीक्षा देने वाले अधिकांश फेल होते हैं, जबकि बाद में पास होने वालों की संख्या अधिक रहती है। एआरटीओ बीडी मिश्रा ने बताया कि उपलब्ध संसाधनों में यातायात नियमों का पालन कराया जा रहा है। उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।