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एसएनसीयू वार्ड से मृत्युदर में कमी संग नवजात को संजीवनी

जिला चिकित्सालय में स्थापित एसएनसीयू वार्ड शिशुओं को सांस देने के साथ सेहतमंद बना दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 10:48 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 10:48 PM (IST)
एसएनसीयू वार्ड से मृत्युदर में कमी संग नवजात को संजीवनी
एसएनसीयू वार्ड से मृत्युदर में कमी संग नवजात को संजीवनी

अंबेडकरनगर: जिला चिकित्सालय में स्थापित एसएनसीयू वार्ड शिशुओं को सांस देने के साथ सेहतमंद भी बना रहा है। इससे मृत्यु दर में भी कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक एक हजार शिशुओं पर 57 मौत की जगह अब यह संख्या 40 पर आ गई है। 10 बेड के इस वार्ड में प्रति माह 70 से 75 बच्चों को भर्ती किया जाता है, जिन्हें स्वस्थ होने के बाद छोड़ा जाता है। यहां तैनात नर्सें भी माताओं को जागरूक कर बच्चों के देखभाल की विधा बता रही हैं।

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-28 दिन के अंदर वाले बच्चे होते हैं भर्ती : जिला चिकित्सालय में स्थापित सिक न्यू बार्न केयर यूनिट नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा है। वर्तमान में आठ बच्चों का इलाज चल रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरके वर्मा ने बताया कि पैदा होने के बाद 28 दिन के अंदर यदि सांस लेने में दिक्कत होती है या मानक के अनुरूप कम वजन मिलता है तो ऐसे बच्चों को यहां भर्ती किया जाता है। प्रतिमाह 70 से 75 शिशुओं को भर्ती किया जा रहा है। इससे शिशु मृत्युदर में काफी कमी आई है।

दो चिकित्सक, चार नर्सों की अलग तैनाती : एसएनसीयू वार्ड में शिशुओं की देखभाल एवं इलाज के लिए अलग से विभाग ने दो बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरके वर्मा एवं डा. उबैदुर्रहमान की तैनाती की है। इसके अलावा चार नर्सों की तैनाती की गई है। जिनकी 12-12 घंटे की ड्यूटी निर्धारित की गई है।

घर वाले फर्श पर रात गुजारने को मजबूर : वार्ड के सामने गैलरी में नवजात शिशुओं के घर वाले फर्श पर दिन-रात बिताने को विवश हैं। इतना ही नहीं, वहां से सीएमएस और अन्य चिकित्सक रोजाना गुजरते हैं, लेकिन वर्षों से चली आ रही यह अव्यवस्था बदल नहीं रही है। 10 बेड के इस वार्ड का संचालन अन्य वार्डों से बिलकुल अलग है। चार वर्ष से इसके संचालन से मृत्यु दर में लगभग 12 से 20 प्रति हजार की कमी आई है।

डा. ओमप्रकाश, सीएमएस, जिला चिकित्सालय


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