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पशुपालन के जरिए जरूरतें पूरी कर रहे मांझावासी

घाघरा नदी में आई बाढ़ ने मांझा क्षेत्र में तबाही मचाई है। हजारों हेक्टेयर खरीफ की फसल बाढ़ से हो नष्ट गई। पशुपालन के सहारे ग्रामीण रोजमर्रा की जरूरतों को जुटा रहे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 12:23 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 12:23 AM (IST)
पशुपालन के जरिए जरूरतें पूरी कर रहे मांझावासी
पशुपालन के जरिए जरूरतें पूरी कर रहे मांझावासी

अंबेडकरनगर : घाघरा नदी में आई बाढ़ मांझा क्षेत्र में बर्बादी की इबारत लिख गई। हजारों हेक्टेयर खरीफ की फसलों को अपने आगोश में लेकर नष्ट कर दिया। इसके बाद भी मांझा वासियों के हौसलों में कोई कमी नहीं है। फसलें गई तो पशुपालन के सहारे जिदगी की रोजमर्रा की जरूरतों को जुटाने में जूझ रहे हैं।

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तहसील क्षेत्र के उत्तरी सीमा में तकरीबन 40 किलोमीटर की लंबाई में बहने वाली घाघरा नदी में इस वर्ष आई बाढ़ ने मांझा करमपुर बरासंवा, मांझा अवसानपुर, मांझा इल्तिफ़ातगंज, मांझा सलारपुर, मांझा महरीपुर, मांझा रायपुर, मांझा आसोपुर, मांझा छज्जापुर, मांझा कला, मांझा उल्टहवा व मांझा चितौरा आदि गांवों में हजारों हेक्टेयर खरीफ की फसल को बर्बाद कर दिया। छोटे-मझोले किसानों के सामने परिवार की जरूरतों को पूरा करने की समस्या उत्पन्न हो गई है। लेकिन, खेती बर्बाद हुई तो किसानों ने पशुपालन को जीविका का आधार बना लिया।

बाढ़ प्रभावित किसान पशुओं से प्राप्त दूध को कैन में भरकर नौका के माध्यम से नगरीय क्षेत्रों में पहुंचा रहे हैं। मांझा उल्टहवा के सुरेमन, किताबू व पवन ने बताया कि बाढ़ से फसल की बर्बादी के बाद गांव के कई किसान दूध बेचकर परिवार की जीविका चला रहे हैं।

टांडा के उप जिलाधिकारी अभिषेक पाठक ने बताया कि ग्रामीणों के आग्रह पर पशुपालन के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पशुपालन को बढ़ावा दिया जाएगा।


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