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घरों में घुसा बाढ़ का पानी, हनुमान गढ़ी की सीढि़यां डूबी

-आलापुर व टांडा तहसील क्षेत्र के तटीय गांवों में बाढ़ से मुसीबत -प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रभावित गांवों में पहुंचकर लिया जायजा

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 11:06 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 06:09 AM (IST)
घरों में घुसा बाढ़ का पानी, हनुमान गढ़ी की सीढि़यां डूबी
घरों में घुसा बाढ़ का पानी, हनुमान गढ़ी की सीढि़यां डूबी

अंबेडकरनगर : घाघरा नदी की उफनाती लहरें डराने के साथ अब मुसीबत बन चुकी है। तटीय गांवों के घरों में पानी घुसने लगा है। ग्रामीणों को पलायन करने की स्थिति बनने लगी है। फसलें जलमग्न और रास्तों पर पानी भरने से जीविका पर खतरा मड़रा रहा है। पशुओं के लिए चारा का इंतजाम करना कठिन हो गया है। घाघरा नदी की बाढ़ से टांडा नगरक्षेत्र भी प्रभावित हो गया है। हनुमानगढ़ी घाट की सभी सीढि़यां नदी के पानी में डूब गई है। मंदिर के उत्तरी सहन पर पानी है। नगर के नेहरू नगर मेहानिया के बारातघर में पानी भरा है। धोबियाना के आबादी में भी पानी घुस गया है। धोबी विछावट पानी में डूबा है। कपड़े सुखाने में कठिनाई हो रही है।

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घाघरा नदी का जलस्तर बीते शनिवार के सापेक्ष रविवार को 10 सेंटीमीटर का बढ़ा है। दोपहर दो बजे रिकार्ड हुए जलस्तर में नदी खतरे के निशान 92.730 मीटर से 69 सेंटीमीटर ऊपर 93.420 मीटर पर है। घाघरा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। नदी की दो जलधारा के बीच बसे मांझा उल्टाहवा गांव में बाढ़ का पानी घरों में घुस रहा है। सड़क से गांव में पहुंचना कठिन हुआ है। इससे केवटला गांव प्रभावित है। एसडीएम अभिषेक पाठक ने तहसीलदार संतोष कुमार ओझा के साथ मांझा उल्टाहवा गांव का जायजा लिया। घाघरा नदी का जलस्तर बीते चार दिनों से लगातार बढ़ रहा है। एक दर्जन से अधिक घरों में पानी भरने से लोग सुरक्षित स्थानों पर बसे पड़ोसियों के घर बच्चों के साथ शरण लेने लगे हैं। जानवर दिन-रात पानी में खड़े हैं। जालिम का पूरा और बाबू राम का पूरा सबसे अधिक प्रभावित है। गांव की प्रधान दर्शना देवी ने बताया गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है। फसल जलमग्न हो गई। गांव के रास्तों में पानी भर गया है। एक दर्जन घरों में पानी घुस गया है। निचले स्थान पर स्थित छप्पर में रहने वाले ग्रामीण पड़ोसियों के यहां शरण लेने को मजबूर हुए है। एसडीएम अभिषेक पाठक ने बताया कि गांव में पहुंचने के रास्ते में पानी आया है। निचले स्थान पर बसे ग्रामीणों के घरों में पानी घुस गया है। ग्रामीणों के आवागमन के लिए नौकाएं लगाई हैं। टीएनपीजी कॉलेज को बाढ़ पीड़ित शरणालय बना दिया गया है।


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