ईमान से होती है कौम की बुनियाद : जाफरी
अंबेडकरनगर : कौम और मिल्लत की तामीर मिट्टी, गारे से नहीं होती। कौम भीड़ का नाम नहीं ह
अंबेडकरनगर : कौम और मिल्लत की तामीर मिट्टी, गारे से नहीं होती। कौम भीड़ का नाम नहीं है। ना ही इसका स्तर या आधार संख्या बल से है। बल्कि कौमों का स्वरूप अथवा शिखर, पतन कौम के मानने वाले लोगों की श्रद्धा, विश्वास, ईमानदारी पर आधारित होता है। यह बात नगर के दोस्तपुर मार्ग स्थित अली कॉलोनी में डॉ. हैदर मेहदी द्वारा अपने वालिद मरहूम मोहम्मद मेहदी के इसाल-ए-सवाब के लिए आयोजित मजलिस को संबोधित करते हुए तारागढ़ अजमेर से आए मौलाना सैयद गुलजार हुसैन जाफरी ने कहीं। उन्होंने कहा कि कौम का आधार या बुनियाद उसका ईमान होती है। इसमें हकगोई और खुदापरस्ती का भी बड़ा महत्व है। हमारा ईमान इस्लाम पर है, और इस्लाम की परवरिश रसूल- ए-अकरम के घर में हुई। यह फात्मा जहरा के आंगन में परवान चढ़ा। इसने हसनैन की अंगुलियां पकड़कर चलना सीखा। नवासे रसूल हजरत इमाम हसन और इमाम हुसैन ने नाना के इस इस प्यारे दिन इस्लाम को अपने रक्त से सींचा। इस्लाम कोई आम मजहब नहीं है। बल्कि यह ज्ञान से आरंभ होता है एवं ज्ञान पर खत्म होता है। कहना गलत न होगा कि यह दीन पूरा का पूरा इल्म का शहर है। रसूल ने फरमाया मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके द्वार हैं। बगैर द्वार की चौखट लांघे नगर में दाखिल होना संभव ही नहीं है। कार्यक्रम में अंजुमन मासूमिया की ओर से इरफान लोरपुरी व डॉ. घनश्याम ने जो परचमे गाजी के साये से गुजर जाए, तकदीर बदल जाए किस्मत भी संवर जाए तथा अंजुमन जाफरिया के नौहाख्वान इरशाद लोरपुरी ने होता रहेगा सरवर का मातम व एक बच्ची शोलों से निकली है यह कहते हुए..कोई बदला दे सकीना को नजफ का रास्ता.. शीर्षक से नौहा प्रस्तुत किया तो बडी संख्या में मौजूद अजादार फफक पड़े। संचालन महताब रजा रिजवी ने किया। मजलिस में हैदर मेंहदी, अहमद मेहदी,गालिब अब्बास, इरफान, मुंतजिर फैजी, रेहान, यासिर, दानिश आदि मौजूद रहे।