दरवन झील को पर्यटन के नजरिए से निहारने का इंतजार
धानसभा क्षेत्र स्थित दरवन झील की दशकों से लंबित त्रिस्तरीय महायोजना को वजूद नहीं प्राप्त हो सका। इसके तहत झील को पक्षी बिहार केंद्र नौका बिर तथा मत्स्य पालन केंद्र के साथ पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना शामिल है। झील करीब 500 बीघे में स्थित है। यह दरवन हाथपाकड़ आशागढ़ जलालपुर आदि चार ग्राम पंचायतों में फैली है। महायोजना के क्रियांवयन की दशा में यह सरकार और स्थानीय लोगों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है। पूर्व मंत्री स्व. रवींद्र नाथ तिवारी ने दशकों पूर्व झील के कायाकल्प और सौंदर्यीकरण की पहल दूरदर्शी सोच के तहत 90 के दशक में की थी। उनके द्वारा यह प्रस्ताव तत्समय प्रदेश सरकार
अंबेडकरनगर संसदीय क्षेत्र में शामिल कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में करीब पांच सौ बीघा में फैली दरवन झील प्रकृति की उपहार है। इस झील को पक्षी बिहार केंद्र, नौका बिहार तथा मत्स्य पालन केंद्र के साथ पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग दशकों पुरानी है। प्रकृति की अनुपम छटा को अपने में समेटे इस झील को बहुउपयोगी बनाने के लिए की त्रिस्तरीय महायोजना बनाई गई, लेकिन यह वजूद में नहीं आ पाई। यह झील दरवन, हाथपाकड़, आशागढ़, जलालपुर आदि चार ग्राम पंचायतों में फैली है। हर चुनाव में यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ा मुददा बनती है। राजनीतिक दल के नेता इसके कायाकल्प के वादे भी खूब करते हैं। कुछ तो प्रयास भी करते हैं और पूरी कार्ययोजना का ढिढारो पीटकर शासन को भेजते भी हैं। इसके बाद भी इस झील को वह स्वरूप नहीं दिया जा सका जिसकी उम्मीद लोग संजोए बैठे हैं। मेहमान पक्षियों का कलरव भी यहां लोगों को बरबस ही आकर्षित करता है। प्रस्तुत है अंबेडकरनगर से रामशकल यादव व भीटी से शिवकुमार तिवारी की रिपोर्ट- -----------------------------
-नब्बे के दशक से चल रही मांग को नहीं मिला मुकाम
कटेहरी से विधायक रहे पूर्व मंत्री स्व. रवींद्र नाथ तिवारी ने दशकों पूर्व झील के कायाकल्प और सुंदरीकरण की पहल दूरदर्शी सोच के तहत 90 के दशक में की थी। उनके द्वारा यह प्रस्ताव तत्समय प्रदेश सरकार को सौंपा गया था। ढाई वर्ष के अल्प कार्यकाल में सरकार के गिरने के कारण उनके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी। इसके बाद प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। क्षेत्रीय विधायक और मंत्री अनिल तिवारी द्वारा भी मामला सदन में उठाया गया, लेकिन पत्रावली अभी भी जहां की तहां पड़ी रह गई। हालांकि तब से लेकर अब तक कई विभागों द्वारा औपचारिक रूप से स्थानीय सर्वे किया गया है, लेकिन पत्रावली की अनदेखी होती रही। केंद्र व प्रदेश में सरकार बदलते ही क्षेत्र के लोगों को झील के कायाकल्प की उम्मीद फिर से जाग उठती है, लेकिन उनकी हसरतें अधूरी ही रह जाती हैं। मौजलूदा सांसद डॉ. हरिओम पांडेय ने भी तीन वर्ष पहले महायोजना को आकार देने की दिशा में केंद्र व प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन यह प्रयास भी धरातली रूप नहीं ले सका।
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-जल संरक्षण का अदभुत उदाहरण
दरबन झील में दर्जनों गांव के तालाबों का पानी गिरता है। साथ ही इस झील से कई नाले भी निकलते हैं। जल भंडारण होने के कारण यहां जलस्तर भी दुरुस्त रहता है। इसमें से निकला बजदहा नाला तिवारीपुर, प्रतापपुर चमुर्खा तथा आदमपुर बजदहा ग्राम पंचायतों की सीमा का निर्धारण करते हुए मड़हा नदी में और दूसरा नाला टांडा क्षेत्र स्थित घाघरा नदी में मिलता है। ऐसे में विभिन्न प्रजाति की मछलियां झील में पहुंच जाती है। इससे यहां मछलियों का अक्षुण्य भंडार पाया जाता है।
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-क्षेत्र के लोगों लिए वरदान से कम नहीं है यह झील
झील यहां स्थित विभिन्न गांव के सैकड़ों लोगों के लिए रोजगार व सिचाई का साधन बनी हुई है। लोग मछली, केवल गट्टा, भसीड़, तीनी का चावल आदि का रोजगार कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। यह धंधा वर्ष भर चलता है।
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-शरद ऋतु में बढ़ जाता है पक्षियों का कलरव शरद ऋतु में देशी-विदेशी पक्षियों के कलरव से झील का मनोरम ²श्य देखते ही बनता है। यहां सैकड़ों मील दूर से आने वाले साइबेरियन पक्षियों का प्रवास चार माह तक रहता है। इसके अलावा हंस, सारस, सलोन, बत्तख समेत प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी आकर्षण का केंद्र रहती है, लेकिन गर्मी आते ही पेड़ पौधों के अभाव में यहां छांव नहीं मिल पाता। और ये पक्षी अपने देशों को पलायन कर जाते हैं।
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-पक्षी बिहार बनने से बदल जाएगी क्षेत्र की तस्वीर
जलाशय प्राकृतिक धरोहर होते हैं। जल पर ही जीवन निर्भर है। इनकी सुरक्षा करना हम सभी का दायित्व बनता है। सरकार को इनके कायाकल्प पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस क्रम में दरवन झील की त्रिस्तरीय महायोजना को आकार मिलने पर न सिर्फ क्षेत्र बल्कि जिले व प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिलेगी। और लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
-गिरीश चतुर्वेदी
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त्रिस्तरीय महायोजना से क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा। बुनियादी सुविधाएं सु²ढ़ होंगी। इससे सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त होगा। यहां आने वाले हर किसी को प्राकृतिक का सुंदर नजारा देखने को मिलेगा। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह खास स्थान बन जाएगा। परिवहन, विद्युत, सड़क आदि सुविधाओं से क्षेत्र सुसज्जित होगा।
-सुशील कांत दुबे
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त्रिस्तरीय महायोजना के तहत दरवन झील के कायाकल्प होने की दशा में क्षेत्र रोजगार का हब बन जाएगा। पर्यटकों का आना जाना रहेगा। इससे हर तबके के लिए रोजगार का अच्छा अवसर प्राप्त होगा। साथ ही लोगों को घर में ही पर्यटन का लाभ मिल सकेगा।
-खुशीराम भारद्वाज
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नदी, नाले, झील आदिकाल से जलस्त्रोत का मुख्य केंद्र रहे हैं। यह हमें जन्नत का एहसास कराते हैं। इस क्रम में दरबान झील का महत्व बढ़ गया है। मत्स्य पालन, पक्षी विहार, नौका विहार आदि के रूप में विकसित होने पर लोगों को रोजगार प्राप्त होगा तथा राजस्व आमदनी भी प्राप्त होगी। सरकार को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाना चाहिए।
-घनश्याम वर्मा
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झील, समुद्र के किनारे चंद समय शांत रूप से बैठने पर लोगों को सुकून का अहसास होता है। लोग हजारों, लाखों रुपये खर्च कर देश के विभिन्न स्थानों पर सुकून की तलाश में जाते हैं। ऐसे में दरवन झील का विकास होने पर लोगों को पास में ही सुकून की प्राप्ति होगी। क्षेत्र आधुनिक सुविधाओं से सु²ढ़ व विकसित होगा तथा लोगों को रोजगार की प्राप्ति भी होगी।
-शरद कुमार गुप्ता
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दरवन झील का विकास होने पर आसपास की रौनक बढ़ जाएगी। क्षेत्र का विकास होगा। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। यह झील पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करेगी। इससे राजस्व आमदनी तथा क्षेत्र का विकास होगा। तथा लोगों को शीतलता तथा रोमांच का अछ्वुत एहसास मिलेगा।
-अरविद कुमार सिंह