कैशलेस बिकेगी खाद और बार कोड करेगा पहरेदारी
जिले की 750 लाइसेंसी उर्वरक दुकानों को बार कोड लेना होगा। कालाबाजारी रोकने में पीओएस मशीन कारगर साबित नहीं हुई।
महेंद्र प्रताप सिंह, अंबेडकरनगर
खाद की कालाबाजारी रोकने व दुकानों पर किसानों का ब्योरा रखने के लिए अब बार कोड पहरेदारी करेगा। खाद की बिक्री भी नगद होने के बजाए कैशलेस होगी। उर्वरक विक्रेताओं को फर्म के नाम बैंक खाते का बार कोड दुकान पर लगाना अनिवार्य होगा। इसके जरिए ही किसान को अब खाद खरीदनी होगी। इसमें मोबाइल से बार कोड स्कैन करने पर किसान के खाते से निर्धारित धनराशि दुकानदार के फर्म एकाउंट में चली जाएगी। इससे ज्यादा मूल्य पर कोई भी खाद नहीं बेच पाएगा। दुकानदार के पास किसान का ब्योरा भी सुरक्षित हो जाएगा।
पीओएस मशीन से हुई थी गड़बड़ी : जिले में 750 खाद के लाइसेंस जारी हैं। तीन साल पहले समस्त खाद के लाइसेंस धारकों को पीओएस मशीन मिली थी। इस बीच दुकानदार मशीन व आधार कार्ड की प्रक्रिया को दरकिनार कर मनमाने मूल्य पर किसानों को यूरिया सहित सभी खाद बेचने लगे। कृषि विभाग की जांच में पीओएस मशीन से खाद बेचने में खामियां मिलीं। इसमें किसानों व भूमिहीनों के अलावा गैरजिलों के लोगों के नाम पर बड़े पैमाने पर खाद बेचने का मामला प्रकाश में आया था।
बैंक जारी करेगा बार कोड, ऑनलाइन होगा भुगतान : फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को उनकी फर्म के नाम से बैंक खाता खोलना होगा। बैंक संबंधित दुकान को एक बार कोड देगा। दुकानदार इसे अपनी दुकान पर चस्पा करेगा। किसान को खरीदने के लिए नकद धनराशि के बजाए मोबाइल एप से इसी बार कोड पर सीधे दुकानदार के खाते में भुगतान करना होगा।
जिला कृषि अधिकारी डॉ. धर्मराज सिंह ने बताया कि खाद की कालाबाजारी रोकने लिए दुकानदार से लेकर किसानों तक की सीमा निर्धारित की जा रही है। पहले पीओएस मशीन दी गई लेकिन, नेटवर्क और अन्य समस्याओं से इसके संचालन में परेशानी आई तो अब बार कोड लाने की तैयारी है। इसके बारे में थोक और फुटकर विक्रेताओं को जानकारी दी जाएगी।