काला नमक धान बनाएगा सेहत, होते हैं औषधीय गुण
जलालपुर के कुलहिया पट्टी गांव में शुगर फ्री धान तैयार हो रहा। जिले में पहली बार ब्रह्मदेव व प्रवेश के खेत में फसल दिखने लगी।
अरविद सिंह/ओंकार शर्मा, अंबेडकरनगर
छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों में तैयार होने वाला खास प्रजाति का काला नमक धान अब उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाके में लहलहा रहा है। यह महज धान नहीं रह गया है। नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसे औषधीय गुणों से समृद्ध कर दिया है। जलालपुर तहसील के कुलहिया पट्टी निवासी किसान ब्रह्मदेव शर्मा व प्रवेश शर्मा ने औषधीय धान काला नमक की खेती की है। इसे काला जीरा नाम भी मिला है। तमाम गुणों से भरपूर काला नमक धान को यहां के वैज्ञानिकों ने शोध करके शुगर फ्री बनाया है। यह मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए काफी लाभकारी है।
तीन से चार फीट लंबी लटकती बाली : काला नमक धान की तीन से चार फीट लंबी लटकती काली बाली और मनमोहक सुगंध लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मूलत: दक्षिण कोरिया और चीन की इस प्रजाति के धान की खेती के लिए भारत में मणिपुर और छत्तीसगढ़ मशहूर हैं। अब यह अन्य राज्यों में भी पैदा किया जाने लगा है।
दुकानदारों ने दिखाया रास्ता : किसान ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि ब्लैक राइस की खेती के बारे में उन्हें दुकानदार ने बताया था। औषधीय गुण वाले इस चावल में शुगर नहीं होता है। यह धान अन्य स्थानीय प्रजातियों से महंगा बिकता है। ब्रह्मदेव ने काले चावल का बीज मालीपुर स्थित बीज की दुकान से मंगाया था। बीज थोड़ा महंगा 380 रुपये किलोग्राम के हिसाब से मिला। दो किलो बीज लाकर उन्होंने 14 बिस्वा में इसकी खेती की है।
रंग लाने लगी किसान की मेहनत : काले धान की काली बालियां पककर तैयार हैं। प्रवेश ने बताया कि आने वाले समय में इसकी खेती और बढ़ाएंगे। अब इलाके के कई किसान प्रेरित होकर उनके संपर्क में आए हैं। यहां का वातावरण भी काला धान पैदा करने के लिए अनुकूल है।
सिचाई की कम जरूरत : काला नमक धान तैयार करने में कम पानी की जरूरत पड़ती है। इसकी कम सिचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में भी पैदावार की जा सकती है। इसे तैयार होने में करीब 150 से 160 दिन लगते हैं। आमतौर पर इस चावल की कीमत 200 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम है।
कई गंभीर रोगों में माना जाता है उपयोगी : मधुमेह रोगियों के लिए काला धान कमाल की चीज है। इसकी खेती स्वास्थ्य को लाभ भी देती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने समेत कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। शुगर फ्री होने के अलावा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को रोकने की इसमें क्षमता है। एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होता है। आयरन, विटामिन, कैल्शियम व जिक का भी इसमें खजाना है।
बीज उत्पादन अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या डॉ. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि विश्व में जितनी भी चावल की प्रजातियां पाई जाती हैं, इन सब में सबसे अधिक औषधीय गुण काले चावल में पाया जाता है। काला चावल में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन बहुत कम मात्रा में मिलती है। इसीलिए यह चावल शुगर के मरीजों के लिए मुफीद है।