बेड और आक्सीजन के अभाव में फर्श पर तड़प रहे मरीज
15 दिन से नए रोगी नहीं हो रहे भर्ती पुराने बेड छोड़ने को तैयार नहीं सबसे अधिक सांस फूलने से परेशान रोगियों की इलाज के अभाव में हो रही मौत
अंबेडकरनगर: कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति भयावह हो चली है। संक्रमित मरीजों का प्रतिदिन का आंकड़ा खौफ पैदा कर रहा है। जिम्मेदार कार्यालयों में बैठकर रणनीति बना रहे हैं, लेकिन योजना धरातल पर कब उतरेगी, यह उनको भी पता नहीं है। सांस रोगी और संक्रमित आक्सीजन सिलिडर और बेड के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
जिला चिकित्सालय में बीते 15 दिन से कोई भी नया मरीज भर्ती नहीं किया गया। जो भर्ती हैं, उन्हीं का भी ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है। नए मरीजों को बेड तक नहीं मिल रहा है। मजबूरी में फर्श पर लेट जा रहे हैं। टांडा के एक मरीज की मौत रात में बेड न मिलने के कारण हो गई।
जिला चिकित्सालय में लगभग 15 दिन से सीएमएस डा. ओमप्रकाश एक ही जवाब देते फिर रहे हैं कि हमारे यहां बेड और आक्सीजन नहीं है। ऐसे में मरीज को कहीं और लें जाएं। इससे मरीजों को प्राथमिक इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। इधर-उधर भटकते मरीजों की सांसें थम रही हैं। गुरुवार को तो हद हो गई।
चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में अखंडनगर निवासी निर्मला को लेकर उनके परिजन पहुंचे तो वहां कर्मियों ने बताया कि बेड नहीं है। ऐसे में सांस फूलने से निर्मला फर्श पर ही लेट गईं। हैरत की बात यह कि न किसी डाक्टर न किसी कर्मचारी ने वहां लेटने से मना किया, जबकि संक्रमण तेजी से फैला हुआ है। थोड़ी देर बाद बड़ागांव निवासी नीता को लेकर परिवारजन पहुंचते हैं तो उन्हें भी बेड नहीं मिलता है और वह भी फर्श पर लेट जाती हैं। लगभग एक घंटे बाद उनको रेफर करने की तैयारी की जा रही थी।
तेजप्रकाश की हुई मौत: टांडा निवासी तेजप्रकाश जायसवाल की रात में सांस लेने में परेशानी हुई तो परिजन लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे। बेड न मिलने पर उन्हें भर्ती नहीं किया जा सका। मेडिकल कालेज सद्दरपुर के लिए रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया है।
वर्जन:::
बेड व आक्सीजन के अभाव में सांस रोगियों का इलाज नहीं हो पा रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन को अवगत भी करा दिया गया है। जो मरीज कई दिनों से भर्ती हैं और उन्हें आराम भी नहीं मिल पा रहा है, ऐसे लोगों को रेफर किया जा रहा है, लेकिन वे नहीं जा रहे हैं। इससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।
-डा. ओमप्रकाश, सीएमएस