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पर्चा बनवाने की दौड़भाग में महिला ने तोड़ा दम, बाद में लगाया आक्सीजन

पर्चा व स्ट्रेचर के लिए भटकता रहा पति नहीं पसीजे कर्मचारी 55 मरीज भर्ती करने के साथ सभी को आक्सीजन देने का किया जा रहा दावा

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 09:56 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 09:56 PM (IST)
पर्चा बनवाने की दौड़भाग में महिला ने तोड़ा दम, बाद में लगाया आक्सीजन
पर्चा बनवाने की दौड़भाग में महिला ने तोड़ा दम, बाद में लगाया आक्सीजन

अंबेडकरनगर: कोरोना संकटकाल में जिला चिकित्सालय समेत अन्य केंद्रों पर स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं। कागजी कोरम पूरा करने में इतना टालमटोल किया जा रहा है कि समय पर आक्सीजन और बेड नहीं मिलने से मरीजों की मौत हो रही है।

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शुक्रवार को एक महिला को लेकर उसका पति जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड पहुंचता है। जैसे ही डाक्टर के पास जाता है, तो वहां बैठे कर्मियों ने कहा कि पर्चा बनवाओ तभी इलाज संभव है। वह पर्चा बनवाने दौड़ता है तो उसे मना कर दिया जाता है कि अभी डाक्टर नहीं हैं। इस भागदौड़ में आखिरकार महिला ने दम तोड़ दिया। चिकित्सालय प्रशासन ने दावा किया कि महिला को तत्काल आक्सीजन दिया गया, लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका।

जिला चिकित्सालय में इलाज की व्यवस्था में सुधार नहीं है। मरीज फर्श, स्ट्रेचर, बेंच आदि पर तड़प रहे हैं। अयोध्या जिले के गोसाईंगंज के हृदयराम कश्यप सांस की समस्या से जूझ रहीं अपनी पत्नी को लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे। इमरजेंसी वार्ड के कर्मचारियों ने पर्चा बनवाने के लिए कहा। वह काउंटर पर पहुंचे तो बताया गया कि अभी डाक्टर नहीं हैं। घबराए हृदयराम पत्नी के पास पहुंचे। सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर परिजनों ने हाथ से पीठ को थपथपाना शुरू किया और स्वयं स्ट्रेचर लेकर अंदर जाने लगे।

इस दौरान महिला की मौत हो गई। हृदयराम ने बताया कि मौत होने के बाद कहा गया कि आओ पर्ची बनवा लो, इतना ही नहीं आक्सीजन भी लाकर लगा दिया गया। यह सब दिखाने के लिए लगाया गया।

सीएमएस डा. ओमप्रकाश ने बताया कि सूचना मिलते ही मरीज को देखा गया और जैसे ही आक्सीजन सिलिडर लगाया गया, उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में 55 मरीजों को भर्ती किया गया है और सभी आक्सीजन पर हैं।

रेफर होने के बाद नहीं करते भर्ती: जिला चिकित्सालय से जब भी गंभीर मरीज को मेडिकल कालेज सद्दरपुर और टांडा स्थित एल-टू हास्पिटल के लिए रेफर किया जाता है तो वहां भर्ती नहीं लिया जाता। यह आरोप सीएमएस का है। सीएमएस कहते हैं कि मेडिकल कालेज में 200 बेड है, जबकि यहां 95 से 100 मरीज ही अब तक भर्ती हैं। इसी तरह टांडा में 100 बेड है, लेकिन यहां भी 40 से 50 ही मरीज ही भर्ती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि दोनों स्थानों पर बेड होने के बाद भी मरीजों को क्यों भर्ती नहीं किया जा रहा।


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