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मेडिकल स्टोर से गायब होने लगीं जीवन रक्षक दवाएं

कालाबाजारी और मनमानी पर अंकुश लगाने वाले बेफिक्र जिला मुख्यालय से ग्रामीणांचल तक मची है अफरातफरी

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 10:02 PM (IST)
मेडिकल स्टोर से गायब होने लगीं जीवन रक्षक दवाएं
मेडिकल स्टोर से गायब होने लगीं जीवन रक्षक दवाएं

अंबेडकरनगर: जीवन रक्षक दवाओं के साथ वायरल बुखार व कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर दवाएं मेडिकल स्टोर से एकाएक गायब होने लगी हैं। ऐसे में खुलेआम दवाओं के लिए सौदेबाजी हो रही है और मजबूरी का फायदा उठाकर मरीजों व तीमारदारों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। दवाओं की कालाबाजारी पर लगाम लगाने को जिम्मेदार भी बेफिक्र हैं।

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कोरोना क‌र्फ्यू में सरकारी कार्यालय बंद हैं। कोरोना के खौफ से अधिकारी और कर्मचारी निरीक्षण नहीं कर रहे हैं। दुकानदार मनमानी पर उतर आए हैं। खुदरा मूल्य पर बिकने वाली दवाओं का दाम फिक्स नहीं रह गया है।

मेडिकल स्टोर संचालक बाहर से अधिक दामों पर खरीदने का बहाना बनाकर जनता को लूट रहे हैं। वह चाहे जिस दाम पर दवा बेचें, उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। तय मूल्य से अधिक कीमत पर दवा बेचे जाने से गरीबों का घर उजड़ रहा है। इस अवैध कमाई से दुकानदार मालामाल हो रहे हैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में यही नजारा देखने को मिला।

दवाओं की बढ़ी मांग: इस समय वायरल बुखार, सर्दी-जुखाम आदि रोगों से पीड़ितों की संख्या बढ़ी है। यही लक्षण कोरोना वायरस से भी मिलता जुलता है। उक्त लक्षणों एवं बीमारी में एजीथ्रोमाईसिन, पैरासिटामाल, डेकाड्रान, बेटामेथासोन, डेरीफाइलिन के साथ ही कफ सीरप का अहम रोल है। उक्त दवाएं देने के बाद यदि बुखार नहीं उतर रहा है तो सिफ्टरियाजोन सालवैक्टम इंजेक्शन के साथ ही मोरपिनम इंजेक्शन दिया जा रहा है। ये दवाएं दुकानों से एकाएक गायब होने लगी हैं। जहां दवाएं उपलब्ध हैं, वह मुंहमांगी कीमत पर बेच रहे हैं।

अधिकतम मूल्य से ज्यादा कीमत पर बिक रहीं दवाएं: 18 से 30 रुपये में मिलने वाली पैरासिटामाल अब 50 रुपये में बिक रही है। 170 रुपये वाली एजीथ्रोमाईसिन 350 रुपये में, तीन रुपये की बेटामेथासोन अब 20 रुपये में बिक रही है। ऐसा ही हाल अन्य दवाओं का है। एंटीबायोटिक इंजेक्शन के नाम पर खूब लूट मची है। मोरपेनम के साथ ही अन्य एंटीबायोटिक इंजेक्शन की कीमत महज 300 रुपये से 400 रुपये थी, वे अब 1500 रुपये प्रति वायल बेची जा रही हैं।

विलुप्त हुईं कुछ दवाएं : कोरोना वायरस से राहत पाने में कारगर दवा फेवीफ्लू 200 व 800 मिलीग्राम की गोली ब्लैक मार्केटिंग में विलुप्त हो गई है। औसतन 800 रुपये में प्रति डिब्बा बिकने वाली यह टेबलेट आज लगभग चार हजार रुपये में बिकने लगी है। खास बात है कि इन दवाओं की अधिकतम खुदरा दर आज भी वही है।


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