शिवत्व में रम जाना चाहते हैं युवा कल्पवासी
कल्पवास सिर्फ तन से है मन तो शिव की ओर भाग रहा है।
अमरदीप भट्टं, प्रयागराज : कल्पवास सिर्फ तन से है, मन तो शिव की ओर भाग रहा है। शिवत्व में रम जाना चाहता हूं, प्रभु यह इच्छा जाने कब पूरी करें। यह किसी बुजुर्ग कल्पवासी या धार्मिक मंच से किसी कथावाचक के बोल नहीं, बल्कि माघ मेला क्षेत्र में 10 साल से कल्पवास कर रहे 30 वर्षीय सतीश शर्मा के हैं। आगरा के शास्त्रीपुरम सिकंदरा से प्रयाग भूमि आए सतीश का सेवा भाव कुछ ऐसा है जिसे देखकर कोई भी 'शिव' के असली मर्म का एहसास कर सकता है।
माघ मेला क्षेत्र के सरस्वती मार्ग पूर्वी पट्टी पर श्री राधा आध्यात्मिक सत्संग समिति के शिविर में युवा सतीश शर्मा सुबह से शाम तक सेवा में जुटे रहते हैं। आध्यात्मिक गुरु मां डॉ राधाचार्या के सानिध्य में रहकर उन्हें कल्पवास करते 10 साल हो गए हैं। वह बताते हैं कि स्नातक उत्तीर्ण करते ही अचानक किसी दैवीय शक्ति के करीब होने का एहसास हुआ। फिर जीवन में एक रहस्य का पता चला जिसे वे किसी को नहीं बताते। माघ मेले की ओर मन खींच लाया तो यहां डा. राधाचार्या से मुलाकात हुई। उनके पूछने पर जुबान से बस यही निकला कि सेवा करना चाहते हैं। फिर वहीं से शुरू हो गई आध्यात्मिक यात्रा और अब उस राह पर चलते-चलते 10 बरस बीत गए।
आगरा के रहने वाले रामेश्वर दयाल शर्मा के पुत्र सतीश की दिनचर्या भोर में चार बजे शुरू हो जाती है। सूरज की किरणें फूटने से पहले गंगा स्नान कर लेना, लौटकर शिविर में मंदिर के काम में जुट जाना, एक समय भोजन और एक समय केवल फलाहार। सेवा साधना और संकल्प के विषय में वह कहते हैं कि कोई मंदिर जाए या न जाए, लेकिन सेवा कर्म जरूर करें। भगवान उसी से प्रसन्न होते हैं। सतीश को इस सेवा समर्पण पर डा. राधाचार्या कहती हैं कि युवाओं का अध्यात्म की ओर बढ़ना भारतीय समाज के सुनहरे कल का संकेत दे रहा है।