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आप भी दीजिए इस खबर पर ध्यान, डायबिटीज है तो फौरन बदल लें डाइट और लाइफ स्टाइल वरना हो जाएगी देर

शुगर डाइबिटीज या मधुमेह। यह मेटाबॉलिक हारमोनल बीमारी है जो एक बार हुई तो जीवन भर पीछा नहीं छोड़ती। यह पहले किसी-किसी को ही या उम्रदराज लोगों को होती थी अब सामान्य हो चुकी है। 30 साल उम्र पार होते ही आनुवंशिक आधार पर लोग चपेट में आ रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 08:40 AM (IST)
आप भी दीजिए इस खबर पर ध्यान, डायबिटीज है तो फौरन बदल लें डाइट और लाइफ स्टाइल वरना हो जाएगी देर
डाक्टर के बताए अनुसार संतुलित भोजन भी नियंत्रण में बेहद कारगर है

प्रयागराज, जेएनएन।  शुगर, डाइबिटीज या मधुमेह। यह एक मेटाबॉलिक हारमोनल बीमारी है जो एक बार हुई तो जीवन भर पीछा नहीं छोड़ती। यह पहले किसी-किसी को ही या उम्रदराज लोगों को होती थी अब सामान्य हो चुकी है। 30 साल उम्र पार होते ही आनुवंशिक आधार पर लोग चपेट में आ रहे हैं।  मॉर्निंग वॉक इसकी तीव्रता बढ़ने से बचा सकता है और डाक्टर के बताए अनुसार संतुलित भोजन भी नियंत्रण में बेहद कारगर है। इस बारे में बता रही है दैनिक जागरण की यह खास रिपोर्ट...।

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बदली जीवनशैली प्रमुख कारण

शुगर या डाइबिटीज के प्रमुख कारण जीवनशैली में बदलाव है। लोग पैदल कम चलते हैं। सुबह जागने, नाश्ते और खाने के समय में मनमाना बदलाव, अधिक जंक फूड भी बड़ा कारण है। व्यायाम या मेहनत वाले काम कम करते हैं। मानसिक तनाव भी कारण है।

दो तरह की डाइबिटीज

टाइप-1: डाइबिटीज मलाइटर- इसमें शरीर में इंसुलिन नहीं बनता और यह अधिकतर 35 साल से कम उम्र के लोगों को होती है। 

टाइप-2 : डाइबिटीज मलाइटर-अधिकांश इसी टाइप में होते हैं जो 35 साल से अधिक के लोगों में पाई जाती है। इसमें शरीर मेें इंसुलिन बनता है लेकिन ठीक से काम नहीं होता है।

लक्षण और परेशानी

कमजोरी, मोटापा कुछ ज्यादा, ज्यादा पेशाब, आंख में कम रोशनी, हाथ पैर में झुनझुनाहट, ज्यादा प्यास लगना। यह कॉमन लक्षण हैं।

1 तिहाई के करीब मरीज आते हैं अस्पताल की ओपीडी में

1 बार हुई डाइबिटीज तो जीवन भर खानी पड़ती है दवा

10 साल में ज्यादा बढ़े हैं शुगर या डाइबिटीज के केस

35 साल से अधिक उम्र वालों को ज्यादा होती है डाइबिटीज

40 साल के हो गए हैं जो जरूर करा लें अपनी जांच

45 मिनट प्रत्येक दिन तेज चाल से पैदल चलना है जरूरी

90 से 126 तक नॉर्मल होती है सुबह नाश्ते से पहले डाइबिटीज

80 फीसद घरों में हैं डाइबिटीज के मरीज

पारिवारिक भी पड़ता है असर

घर में दादा-दादी, माता-पिता चाचा-चाची या अन्य किसी को डाइबिटीज है तो उस घर के युवा भी 30 या 35 साल के बाद जांच जरूर कराएं। उन्हें भी डाइबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है।

इन चीजों से करें परहेज

मिठाइयां किसी भी रूप में, शहद, चीनी, मिसरी, खजूर, आलू, चावल, चिकनाई वाली खाद्य वस्तुएं। इन्हें सप्ताह में एक या दो बार सीमित मात्रा में ले सकते हैं। हाई कार्बोरेट की इन चीजों से परहेज करें। 

पड़ते हैं दुष्प्रभाव

इलाज में अनियमितता बरतते हैं तो शरीर के हर अंग पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं। आंख पर असर हुआ तो रोशनी जा सकते है, हार्ट पर असर हुआ तो हार्ट अटैक जा सकता है। किडनी डैमेज हो सकती है। 

डाइट चार्ट

अनाज - गेहूं की रोटी, दलिया, ओट्स, ज्वार, बाजरा, मल्टी ग्रेन शुगर की बिस्किट

दाल-साबुत मसूर, काबुली चना, चना, राजमा, लोबिया, अंकुरित अनाज

सब्जियां - पालक, लौकी, करेला, चिचिंडा, भिंडी, फ्रेंच बींस

फल-अमरूद, पपीता, संतरा, नीबू, सेब

दूध व दुग्ध उत्पाद-कम वसा वाला दूध, कम वसा वाला पनीर, दही, छाछ, चाय / काफी शुगर फ्री

नॉनवेज- अंडा

चिकनाई-रायी का तेल, ऑलिव का तेल, राइस ब्रान तेल, सरसों का तेल, तिल का तेल

सख्ती से परहेज -

तेल में तली दालें, चावल, ब्रेड, सूजी, गाजर, मूली, कद्दू, चुकंदर, अंगूर, तरबूज, खोया चीज, मटन, मछली, चिकेन, घी, मक्खन, वनस्पति घी

डाइबिटीज हो जाने पर डाइट व लाइफ स्टाइल को बदलना सबसे पहला काम है। कई टैबलेट आती हैं। उनसे नहीं कंट्रोल होता है तो इंसुलिन चलाई जाती है। इसका इलाज उम्र भर होता है। जो जितना अच्छा परहेज करेगा उसका ट्रीटमेंट उतना ही अच्छा होगा। 

डा. मंसूर अहमद, एमडी मेडिसिन, बेली अस्पताल।


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