Yoga Guru Anand Giri Expulsion Case: प्रयागराज में आनंद गिरि ने खोया ठिकाना, विपरीत परिस्थितियों में अपनों ने छोड़ दिया साथ
Yoga Guru Anand Giri Expulsion Case आनंद गिरि के जो बहुत करीबी थे प्रयागराज में हर समय उनके साथ रहते थे उन्होंने भी कन्नी काट ली है। यह वही लोग हैं जो आनंद गिरि के जरिए नेताओं पुलिस व प्रशासन में अपना काम कराते थे।
प्रयागराज,जेएनएन। स्वामी आनंद गिरि की पहचान प्रयागराज में बड़े हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य के रूप में रही है। हनुमान मंदिर व श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में नरेंद्र गिरि के बाद उन्हीं का आदेश चलता था। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले मंत्री, नेता, अधिकारी, व्यवसायी उनसे जरूर मिलते थे। गुरु से विवाद के बाद सारा आभामंडल गुम हो गया है। अगर आनंद गिरि की श्री निरंजनी अखाड़ा में वापसी होती भी है तो पहले जैसा रसूख नहीं रह जाएगा। फिलहाल इतना ही कह सकते हैैं कि प्रयागराज में ठिकाना खत्म हो गया है।
आनंद गिरि 2005 से मठ व मंदिर का काम देख रहे थे। नरेंद्र गिरि के सबसे चहेते शिष्य थे और छोटे महाराज कहलाते थे। धाॢमक, सामाजिक कार्यक्रमों में नरेंद्र गिरि से ज्यादा सक्रिय रहते थे। बड़े हनुमान जी के दर्शन के लिए मंदिर आने वाला हर प्रभावशाली व्यक्ति आनंद गिरि को ही खोजता था। गंगा सेना नामक संस्था बनाने के बाद उनके समर्थकों की संख्या बढ़ गई थी लेकिन गुरु से विवाद के बाद सबने उनसे कन्नी काट ली। नरेंद्र गिरि को समर्थन देने के लिए 13 अखाड़े, प्रमुख धर्मगुरु खुलकर सामने आए। संगमनगरी की धाॢमक, सांस्कृतिक, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से जुड़े ज्यादातर लोग नरेंद्र गिरि के ही पाले में दिखे।
करीबियों ने काटी कन्नी
आनंद गिरि के जो बहुत करीबी थे, प्रयागराज में हर समय उनके साथ रहते थे, उन्होंने भी कन्नी काट ली है। यह वही लोग हैं, जो आनंद गिरि के जरिए नेताओं, पुलिस व प्रशासन में अपना काम कराते थे। आनंद गिरि ने तीन दिन पहले प्रयागराज के प्रबुद्धजनों से मठ व मंदिर बचाने के लिए आगे आने की अपील की थी। उन्हेंं लगा था कि हर वर्ग के लोग उनके साथ खड़े हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एक भी संगठन व व्यक्ति उनके समर्थन में खड़ा नहीं हुआ।
जो गुरु का नहीं हुआ वो धर्म का क्या होगा : रामतीर्थ
खाकचौक के वरिष्ठ महात्मा स्वामी रामतीर्थ दास ने आनंद गिरि द्वारा गुरु नरेंद्र गिरि पर लगाए आरोपों की निंदा की है। कहा कि जो गुरु का नहीं हुआ वो व्यक्ति धर्म का क्या होगा? बोले, जिस गुरु ने परवरिश की, नाम और सम्मान दिया आज उसके खिलाफ वह तमाम आरोप लगा रहे हैं। अगर गुरु गलत कर रहे थे तो उसका विरोध मर्यादा में रहकर करना चाहिए था। आनंद गिरि ने गुरु की छवि खराब करने के लिए साजिश के तहत आरोप लगाए हैं। सारी कमी खुद के निष्कासित होने के बाद नजर आई है।