Yoga Guru Anand Giri Expulsion Case: आनंद गिरि मामले में गुरु-शिष्य की लॉबिंग में बंटे प्रभावशाली लोग
Yoga Guru Anand Giri Expulsion Case आनंद गिरि के समर्थकों ने मठ व श्रीनिरंजनी अखाड़ा की बेची गई जमीन की जांच कराने के लिए प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा है। में निरंजनी अखाड़ा के सचिव आशीष गिरि की खुदकशी को हत्या बताते हुए निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
प्रयागराज, जेएनएन। श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और योगगुरु स्वामी आनंद गिरि के विवाद में अब बाहरी लोग भी कूद पड़े हैं। संत समाज, सत्तारुढ़ दल के मंत्री तथा प्रभावशाली नेता महंत नरेंद्र गिरि के समर्थन में हैं तो भाजपा के कुछ नेता व ब्यूरोक्रेट्स स्वामी आनंद गिरि का समर्थन कर रहे हैं।
आनंद गिरि के समर्थकों ने मठ व श्रीनिरंजनी अखाड़ा की बेची गई जमीन की जांच कराने के लिए प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा है। इसमें 2019 में निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत आशीष गिरि की खुदकशी को हत्या बताते हुए निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की गई है।
आशीष गिरि ने बंद कमरे में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी
वर्ष 2019 में मांडा ब्लाक के महुआरी ग्राम भरारी के बगल में निरंजनी अखाड़ा की करीब दो सौ बीघा जमीन बेची गई थी। लिखा-पढ़ी आशीष गिरि ने की थी। उसे भाजपा के एक रसूखदार नेता ने खरीदा था। सर्किल रेट के हिसाब से पांच करोड़ रुपये अखाड़ा में जमा कराया गया। आरोप है कि जमीन 50 करोड़ रुपये में बिकी थी। जानकारी होने पर आशीष गिरि ने विरोध किया। कुछ दिन बाद दारागंज स्थित अखाड़े के आश्रम में आशीष गिरि ने बंद कमरे में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। इससे पहले 2011 व 2012 में श्री मठ बाघम्बरी गद्दी की जमीन सपा के एक पूर्व विधायक को बेची गई थी। वर्ष 2015 में रायबरेली और 2016 में करछना में निरंजनी अखाड़ा की बिकी जमीन भी चर्चा में आ गई है। दावा है कि आनंद गिरि ने इस मामले को उठाया था, जिससे उन्हें प्रताडि़त किया जाने लगा।
नामी चिकित्सक लेना चाहते थे जमीन
कहा जाता है कि श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पिछले हिस्से की जमीन शहर के एक जाने-माने अस्थि रोग विशेषज्ञ लेना चाहते थे। सारा मामला तय हो गया था लेकिन, विरोध होने पर लेन-देन नहीं हुआ।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि बोले
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कहते हैं कि जमीन बेचने का आरोप निराधार है। मैैं सपने में भी जमीन नहीं बेच सकता। आरोप लगाने वाले स्वतंत्र हैं। यदि वह सोचते हैैं कि ऐसा कर मेरी छवि धूमिल कर लेंगे तो उनकी मंशा नाकामयाब होगी। मैं सच्चा संन्यासी हूं। रोम-रोम भगवा को समर्पित है। संन्यासी अनर्गल आरोप से न डरते हैं, न ही विचलित होते हैं। जिसे जो कहना है कहे, मैं मनगढ़ंत आरोप का जवाब नहीं दूंगा।