कबाड़ हो गई एक्सरे मशीन, बिजली पानी का भी संकट, हाल ठीक नहीं है प्रयागराज में सीएचसी मेजा का
दुर्घटना में कोई गंभीर रूप से घायल हुआ तो शहर के लिए रेफर और कोई मामूली रूप से भी बीमार पहुंचा तो फौरन उसे शहर के लिए रेफर कर दिया जाता है।कभी-कभी तो रास्ते में ही मरीज का दम टूट जाता है।
प्रयागराज, जेएनएन। ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसे वक्त पर भी धराशायी है जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की चूलें हिला दीं। शहर के बड़े अस्पतालों में स्थिति काफी चिंताजनक रही। तो ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों से भी चिकित्सा स्टाफ की कोविड ड्यूटी सुदूर क्षेत्रों में लगाकर स्वास्थ्य महकमे ने कोरोना के लिए गांव के दरवाजे खोल दिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के हालात कुछ यही बता रहे हैं कि कोरोना काल में भी ग्रामीणों की सेहत खतरे में है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेजा की मौजूद हालात पर रवि गुप्ता की रिपोर्ट
यहां तो बस टाली जाती है बला
मेजा ब्लाक के 75 गांवों में निवास करने वाले करीब तीन लाख लोगों के लिए सुदूर पहाड़ी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। पहाड़ी स्थित इटवां कलां, लालतारा, कोहड़ार व पौसिया चौहान में नवीन स्वास्थ्य केंद्र भी हैं। इन अस्पतालों के हालात अच्छे नहीं हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तो जैसे पूरा स्टाफ अपनी बला टालने को बैठा है। दुर्घटना में कोई गंभीर रूप से घायल हुआ तो शहर के लिए रेफर और कोई मामूली रूप से भी बीमार पहुंचा तो फौरन उसे शहर के लिए रेफर कर दिया जाता है। मरीजों को मेजा से शहर लाने में तीन से चार घंटे तक लग जाते हैं। कभी-कभी तो रास्ते में ही मरीज का दम टूट जाता है।
इतने स्टाफ का क्या फायदा
सीएचसी मेजा में पांच पुरुष दो महिला सहित सात डाक्टरों की तैनाती है। चीफ सहित चार फार्मासिस्ट, चार वार्ड ब्याय, चार नर्स व अन्य कर्मचारी भी हैं। नवीन स्वास्थ्य केंद्रों पर भी फार्मासिस्ट आदि की तैनाती हुई है। लेकिन इन व्यवस्थाओं के बावजूद लोगों को आकस्मिक स्थिति में इलाज पाने के लिए शहर भागना पड़ता है। पौसिया चौहान स्थित नवीन स्वास्थ्य केंद्र तो काफी पहले बंद हो चुका है जबकि तीन नवीन स्वास्थ्य केंद्र भी महज कागज पर ही संचालित हो रहे हैं।
रैबीज के इंजेक्शन तक नहीं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रैबीज के इंजेक्शन तक नहीं हैं। ग्रामीण कहते हैं कि कुत्तों के काट लेने पर लोगों को इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल के चक्कर काटते रहना पड़ता है। प्रसव केस के संबंध में लोग कहते हैं कि महिला डाक्टर की तैनाती है फिर भी आशा कार्यकर्ता मरीजों को निजी अस्पतालों में जाने की सलाह देती हैं।
मरीजों को दे रहे परामर्श
अस्पताल के हालात पर सीएचसी मेजा के अधीक्षक ओम प्रकाश कहते हैं कि 50 फीसद से ज्यादा कर्मचारियों की कोविड ड्यूटी लगी है। ये सभी कर्मचारी जिला मुख्यालय में अलग-अलग अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे हैं। अस्पताल में जो भी मरीज आ रहे हैं उन्हें उचित परामर्श दिया जा रहा है। अव्यवस्थाओं के संबंध में कहा कि शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।