आंवला के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे करें भोजन, धर्म कर्म केे सााथ पिकनिक भी
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि अक्षय नवमी का महत्व अक्षय तृतीय के समान होता है। जबकि आंवला का वृक्ष निरोगता व समृद्धि प्रदान करता है। उक्त तिथि पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी आंवला के वृक्ष में वास करते हैं।
By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 03:42 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 03:42 PM (IST)
प्रयागराज, जागरण। कार्तिक शुक्लपक्ष की नवमी तिथि सोमवार को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी आंवला के वृक्ष का पूजन करेंगे। इस पूजन के जरिए रोग व शोक से मुक्ति की कामना की जाएगी। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन पकाकर परिवार के साथ उसका सेवन करेंगे। मान्यता है कि ऐसा करने वालों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आंवला का वृक्ष देता है निरोगता
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि अक्षय नवमी का महत्व अक्षय तृतीय के समान होता है। जबकि आंवला का वृक्ष निरोगता व समृद्धि प्रदान करता है। उक्त तिथि पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी आंवला के वृक्ष में वास करते हैं। जो आंवला के वृक्ष का पूजन करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। बताते हैं कि आंवला के पेड़ के जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए। तना में कच्चा सूत लपेटकर 21, 51 अथवा 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। कद्दू का दान करने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं। जो आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करते हैं उनकी काया निरोगी रहती है।
ऐसे करें आंवला का पूजन
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि सोमवार की सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। संकल्प के बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठें। इसके बाद 'ऊं धात्र्यै नम: मंत्र का जप करते हुए आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें। पितरों का तर्पण करने के बाद आंवले के पेड़ के तने में सूत्र बांधें। इसके बाद वहीं भोजन पकाकर उसे ग्रहण करें। इस तरह से धर्म कर्म के साथ पिकनिक भी मना लिया जाता है। खासतौर पर बच्चे तो इस अवसर पर मनोरंजन करते हैं। बड़े भी आनंद लेेेेते हैं।
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