World Bamboo Day 2020 : यह किसानों के लिए किसी 'एटीएम' से कम नहीं है, पैदावार कर बढ़ा रहे आय
World Bamboo Day 2020 प्रयागराज के गंगापार और यमुनापार इलाके में कुछ वर्षों से बांस का उत्पादन बढ़ा है। एक बार इस पौधे को लगाने के बाद 30 से 35 साल तक पैदावार होती है।
प्रयागराज, जेएनएन। बांस की रोपाई मुख्य रूप से जून से सितंबर माह में की जाती है, जो चार-पांच वर्ष में तैयार हो जाती है। एक बार बांस की खेती करने के बाद 30 से 35 साल बांस की पैदावार बराबर होती रहती है। इसीलिए बांस की खेती को किसानों के लिए 'एटीएम' कहा जाता है। बांस को बंबू नाम से जाना जाता है। बांस की खेती बगैर लागत एवं मेहनत की होती है। निराई गुड़ाई की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि बांस एक बार लगा दिया जाए तो कई वर्षों तक आय होती रहती है। मनुष्य के जीवन में बांस की उपयोगिता घरेलू कार्यों के साथ ही पूजा-पाठ, बच्चों के खिलौने, घरेलू इस्तेमाल के लिए डलिया भी बनाई जाती है।
किसान बांस के उत्पादन पर दे रहे जोर
आज विश्व बांस दिवस है। ऐसे में इसकी उपयोगिता पर चर्चा करना गलत नहीं होगा। व्यक्ति के जीवन में बांस एक उपयोगी वृक्ष माना जाता है। इससे आय तो होती ही है साथ में यह इंसान के पूरे जीवन काल में आवश्यकता पड़ती है। यही वजह है कि गांवों में बांस की उपयोगिता को देखते हुए अब किसान इसके उत्पादन पर भी जोर देने लगे हैैं। कौंधियारा क्षेत्र में बांस के उत्पादन को लेकर कुछ वर्षों में लोगों में जागरूकता बढ़ी है।
खास बातें
02 किस्म के बांस का उत्पादन किया जाता है कौंधियारा क्षेत्र में
05 वर्ष में तैयार हो जाता है बांस, अनुपयोगी जमीन पर लगता है पौधा।
ये है बांस की उपयोगिता
कौंधियारा क्षेत्र के दगवां निवासी रामायण प्रसाद तिवारी, भभोखर अवनीश शुक्ल, गोठी के भगौती प्रसाद शुक्ल व शिवपूजन पांडेय, मवैया के चंद्रभूषण एवं कुल्हडिय़ा निवासी लालजी कुशवाहा बांस की कोठ लगाए गए हैैं। बांस की कोठ इस समय लगभग हर गांव में हैै। कौंधियारा क्षेत्र में मुख्य रूप से दो प्रजातियों के बांस का उत्पादन किया जाता है। पहली प्रजाति लाठी बांस जो पतला एवं छोटे कद का होता है। इसका प्रयोग ज्यादातर लाठी के काम में आता है। यह मजबूत एवं टिकाऊ होता है। दूसरा लैनहवा बांस के नाम से जाना जाता है। जो मोटा एवं 50 से 60 मीटर लंबा होता है। बांस की खेती अनुउपयोगी जमीन में भी की जा सकती है।