भगवतपुर में दो करोड़ से लगेगा ऊन प्रोसेसिंग प्लांट Prayagraj News
भेड़ एवं ऊन विकास परियोजना के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. भारत भूषण सिंह ने बताया कि इस प्लांट से प्रोसेसिंग होकर जो ऊन निकलेगा उसकी अच्छी कीमत मिल सकेगी।
प्रयागराज,जेएनएन। स्थानीय स्तर पर लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की जा रही योजनाओं में प्रयागराज के ऊन प्रोसेसिंग प्लांट से काफी उम्मीदें हैं। यह प्लांट शहर से सटे और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के विधानसभा क्षेत्र के भगवतपुर गांव में स्थापित होगा। इसके लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है।
प्लांट से जिले के लगभग ढाई लाख भेड़ पालकों को होगा लाभ
प्लांट से जिले के लगभग ढाई लाख भेड़ पालकों को लाभ मिल सकेगा। जिले में 42 कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जहां भेड़ों के बाल एकत्रित किए जाएंगे, वहां से उसे प्लांट भेजा जाएगा। भेड़ों के बाल काटने के लिए अलग से मशीन आएगी। ऊन प्रोसेसिंग प्लांट को जल्द ही स्थापित कराने के लिए शासन की ओर से प्रशासन, भेड़ एवं ऊन विकास, पशु पालन, उद्योग, निर्यात प्रोत्साहन विभाग, विद्युत, लोक निर्माण विभाग, जल निगम के आठ अफसरों की कमेटी गठित कर दी गई है।
जुलाई के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाएगा प्लांट के निर्माण का काम
माना जा रहा है कि जुलाई अंतिम सप्ताह अथवा अगस्त के प्रथम सप्ताह से प्लांट के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। भेड़ एवं ऊन विकास परियोजना के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. भारत भूषण सिंह ने बताया कि इस प्लांट से प्रोसेसिंग होकर जो ऊन निकलेगा, उसकी अच्छी कीमत मिल सकेगी। कैबिनेट मंत्री व प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि भेड़ पालकों के लिए ऊन प्रोसेसिंग प्लांट बेहद लाभकारी होगा। साथ ही इस प्लांट से मार्केटिंग से लेकर कलेक्शन सेंटरों पर युवाओं को रोजगार भी मिल सकेगा। इससे प्रयागराज के लगभग ढाई लाख भेड़पालकों को फायदा हो सकेगा।
प्रदेश के आठ जिलों में लगेगा प्लांट
प्रयागराज में ऊन प्रोसेसिंग प्लांट पायलट प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले लगने जा रहा है। इसके बाद मीरजापुर, चंदौली, आजमगढ़, ललितपुर, झांसी, बस्ती, लखीमपुर खीरी व बिजनौर में भी ऊन प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इससे इन जिलों के लगभग 12 लाख भेड़ पालकों को लाभ मिल सकेगा।
खादी एवं ग्रामोद्योग को देंगे माल
प्रोसेसिंग प्लांट में तैयार ऊन को खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग को दिया जाएगा, जिससे कंबल बनाया जाएगा। इसके अलावा इस ऊन को कालीन उद्योग को भी बेचा जाएगा। इस ऊन की कालीन उद्योग में सबसे ज्यादा मांग है। इससे भेड़ पालकों को पर्याप्त पैसा मिल सकेगा, जिससे उनके जीवन स्तर में तेजी से सुधार हो सकेगा।