पत्नी को बेचने पड़े गहने फिर भी इलाज अधूरा, गरीब परिवार एसआरएन अस्पताल में परेशान
दिनेश ट्रामा सेंटर के वार्ड-दो में बेड पर भर्ती है। मजदूरी करता था तो 300 रुपये दिहाड़ी मिल जाती थी उसे। अकोढ़ा गांव में निर्माण कार्य के दौरान छत से गिर कर घायल हुआ था। एसआरएन में पैसे ज्यादा खर्च होते देख पत्नी ने पायल और करधनी बेच दी।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। पैसे का कोई जुगाड़ नहीं बचा है साहब, सरकार किसी की सुनती नहीं है। यह दुनिया केवल पैसे की भूखी है हम गरीबों की किस्मत में मरना ही लिखा है। यह करुण दास्तान है उस वृद्ध पिता की जिसका बेटा एक महीने से स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में भर्ती है। बाएं हाथ की कोहनी और जांघ के पास हड्डी टूट गई है। आपरेशन नहीं हो पा रहा है क्योंकि दवा और मेडिकल राड खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।
पत्नी को पायल व करधनी तक बेचनी पड़ी, लाकेट रखा गिरवी
शंकरगढ़ के किला गढ़वा गांव निवासी 28 वर्षीय दिनेश ट्रामा सेंटर के वार्ड-दो में बेड संख्या तीन पर भर्ती है। मजदूरी करता था तो 300 रुपये दिहाड़ी मिल जाती थी उसे। अकोढ़ा गांव में निर्माण कार्य के दौरान छत से गिर कर घायल हुआ था। एसआरएन में पैसे ज्यादा खर्च होते देख पत्नी ने पायल और करधनी बेच दी। खर्च रुका नहीं तो मंगलसूत्र में पहना सोने का लाकेट गिरवी रखना पड़ा। वहीं, प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. अजय सक्सेना कहते हैं कि दवाओं से मदद की जा सकती है लेकिन इम्प्लांट तो मरीज को अपने खर्च पर मंगाना ही पड़ेगा। तमाम डाक्टर छुट्टी पर भी हैं। हो सकता है इसलिए आपरेशन में देरी हो रही हो।
ओटी से चार बार किया बाहर
दिनेश को डाक्टर आपरेशन थियेटर में चार बार ले जा चुके हैं। हर बार उसे बिना आपरेशन ही लौटाया गया। चार घंटे पहले खाने पर भी रोक लगा दी जाती थी।
सात हजार खर्च होने पर किया आपरेशन
दिनेश की जांघ की हड्डी का आपरेशन शनिवार रात करीब 12 बजे हो पाया। पिता छोटेलाल ने कहा कि सात हजार रुपये की दवाएं लानी पड़ी। हाथ जोड़कर चिरौरी विनती की, गिड़गिड़ाए तब जाकर डाक्टर आपरेशन के लिए राजी हुए। इलाज में अब तक 50 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। एक महीने से दिहाड़ी बंद है वह अलग। आपरेशन के बाद भी अभी कम से कम तीन महीने वह काम पर जाने लायक भी नहीं रहेगा।
दवाएं सभी को उपलब्ध कराना संभव नहीं
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. एसपी सिंह का दावा है कि प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के लाभार्थी गोल्डन कार्ड धारकों को पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं। सभी मरीजों को दवाएं और अन्य चिकित्सा सामग्री मुफ्त उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है। आपरेशन में इस्तेमाल होने वाली अन्य जरूरी चीजों के लिए सरकारी बजट के प्रश्न पर उन्होंने चुप्पी साध ली।