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जब प्रयागराज में पीडी टंडन के सामने अंग्रेज फौजी अफसरों को झुकना पड़ा, जानिए क्‍या था पूरा मामला

म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन टंडन को रोब में लेने का प्रयास किया। टंडन पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने साफ कहा कि अधिकांश बकाया तत्काल और बकाया शेष सात दिन में जमा करा दें तो जलापूर्ति चालू करा दी जाएगी। टंडन के सामने अंग्रेज फौजी अफसरों को झुकना पड़ा।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 07:00 AM (IST)
जब प्रयागराज में पीडी टंडन के सामने अंग्रेज फौजी अफसरों को झुकना पड़ा, जानिए क्‍या था पूरा मामला
पीडी टंडन ने नोटिस भेजकर छावनी क्षेत्र के कार्यालय तथा आवासों की जलापूर्ति रोक दी।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में आजादी के पहले एक से बढ़कर एक धाकड़ नेता थे। इनकी के हनक के सामने अंग्रेज अफसर भी बौने हो जाते थे। इन्हीं में एक थे पुरुषोत्तम दास टंडन। आजादी के पहले म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन रहते हुए उन्होंने छावनी क्षेत्र में जलापूर्ति बंद करा दी थी। फौजी अफसरों को नोटिस भेज दिया था। नोटिस मिलने पर फौजी अफसर भागते हुए टंडन के पास पहुंच गए थे। टंडन ने इस पद पर रहते प्रशासनिक दृढ़ता और कुशलता का कई बार बखूबी परिचय दिया था।

1919 में चुने गए थे म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन
इतिहासकार प्रो.योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि पुरुषोत्तमदास टंडन के कई किस्से मशहूर रहे हैं। अंग्रेजों के सामने वे कभी नहीं झुके। टंडन सामान्य परिवार में पले-बढ़े नेता थे। गरीब तथा साधनविहीन वर्ग की परेशानियों को उन्होंने नजदीक से देखा था। खाने और पहनने की कष्टप्रद परिस्थितियों से भी गुजरे थे। अंग्रेजों से लड़ते हुए उन्हें किसी प्रकार का अभाव नहीं तोड़ पाया था। 1919 में वे म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन चुने गए। उस समय म्यूनिसिपैल्टी की हालत खस्ता थी। उन्हीं दिनों इलाहाबाद (अब प्रयागराज)के छावनी क्षेत्र पर जलकर का हजारों रुपया बकाया था। अधिकारियों ने ठीक से जलकर वसूलने का प्रयास नहीं किया था।

अंग्रेज फौजी अफसर ने पत्र को फेंक दिया था टोकरी में
प्रो.योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि टंडन ने फाइल देखने के बाद सेना के सबसे बड़े अफसर को पत्र भेजा। आग्रह किया कि निर्धारित तिथि तक बकाया राशि का भुगतान करा दें। अंग्रेज फौजी अफसर इस पत्र को देखकर हैरान रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि एक भारतीय उन्हें ऐसे पत्र लिख सकता है। अफसर ने पत्र को सामान्य धमकी समझ कर टोकरी में फेंक दिया। पुरुषोत्तम दास टंडन को जब पत्र का जवाब नहीं मिला और ना ही बकाया जलकर जमा हुआ तो उन्होंने फौजी अफसर को नोटिस भेजी। नोटिस में स्पष्ट लिखा कि सात दिन के भीतर  जलकर जमा नहीं हुआ तो जलापूर्ति बंद करा दी जाएगी।

जलकर जमा करने पर शुरू हुई थी आपूर्ति
प्रो.तिवारी बताते हैं कि फौजी अफसर ने नोटिस मिलने पर भी कोई जवाब नहीं दिया। टंडन ने सात दिन बाद छावनी क्षेत्र के कार्यालय तथा आवासों की जलापूर्ति रोक दी। जलापूर्ति बंद होने पर अफसर भागे-भागे टंडन के पास पहुंचे। पहले उन्होंने म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन टंडन को रोब में लेने का प्रयास किया। टंडन पर इसका कोई फर्क  नहीं पड़ा। उन्होंने साफ कहा कि अधिकांश बकाया तत्काल और बकाया शेष सात दिन में जमा करा दें तो जलापूर्ति चालू करा दी जाएगी। टंडन के सामने अंग्रेज फौजी अफसरों को झुकना पड़ा।

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