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कर्बला शहीदों के गम में शबाब पर मातम, अजाखानों में जिक्रे शोहदा-ए-करबला

जागरण संवाददाता प्रयागराज कर्बला के शहीदों के गम में अय्यामे अजा के बचे हुए पांच दिनों में मजलिस और मातमी कार्यक्रम शबाब पर हैं। मातमी अंजुमनों की ओर से सीमित लोगों के बीच कार्यक्रम हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:45 PM (IST)
कर्बला शहीदों के गम में शबाब पर मातम, अजाखानों में जिक्रे शोहदा-ए-करबला

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : कर्बला के शहीदों के गम में अय्यामे अजा के बचे हुए पांच दिनों में अजाखानों में होने वाली मजलिस और मातमी कार्यक्रम शबाब पर है। विभिन्न मातमी अंजुमनों की ओर से सीमित लोगों के बीच मातमी कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

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इमामबाड़ा नकी बेग में चुप ताजिया की मजलिस में मौलाना रजी हैदर की तकरीर की। साथ ही दरियाबाद, रानीमंडी, बख्शी बाजार, करैली सहित विभिन्न अजाखानों में जिक्रे शोहदा-ए-करबला हो रहा है। करैली अम्मार रिजवी व रानीमंडी में शबे गम में अंजुमन गुंचा-ए-कासिमया के नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़कर शहीदे करबला को खेराजे अकीदत पेश की। वहीं, अय्यामे अजा के आखिरी दिन जुलूस-ए-अमारी पर कोरोना संक्रमण का साया मंडरा रहा है। इसके चलते अमारी जुलूस के कर्ताधर्ता तुराब हैदर ने पुलिस-प्रशासन से गाइडलाइन जारी करने की मांग की है। शुक्रवार तक स्थिति स्पष्ट होने पर जुलूस में शामिल होने वाली मातमी अंजुमनों से चर्चा करके जुलूस को सीमित क्षेत्र या इमामबाड़ा प्रांगड़ में संचालित करने पर फैसला लिया जाएगा।

अंजुमन गुंचा-ए-कासिमया के प्रवक्ता सै. मो. अस्करी के मुताबिक लगभग दो सौ वर्षो पूर्व स्व. अफसर रजा खां ने अमारी जुलूस की परंपरा शुरू की थी। अय्यामे अजा के आखिरी दिन 26 अक्टूबर को रबिउल अव्वल की आठवीं को दरियाबाद के ऐतिहासिक बंगला नं 689 के अंदर ही पारंपरिक रस्मों को निभाते हुए मजलिस होगी। अगर जिला प्रशासन से बंगला से इमामबाड़ा अरब अली खां के बीच सीमित दूरी की इजाजत मिलती है तो दूसरे विकल्प के तौर पर कम दूरी का जुलूस भी निकाला जा सकता है। जबकि रबिउल अव्वल पर गुरुवार को बख्शी बाजार में अजाखाना अबरार हुसैन में अंजुमन के महासचिव मिर्जा अजादार हुसैन, रबिउल अव्वल शुक्रवार को दायरा शाह अजमल में स्व. नूह रिजवी के आवास पर कार्यक्रम होगा।


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