Webinar in AU: नई शिक्षा नीति से आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को मिली अनुमति
प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने कहा कि एसेसमेंट और इवेलुएशन प्रोसेस का पुनरीक्षण कार्य प्रगति पर है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के निर्माण की घोषणा हो चुकी है। हॉलिस्टिक अप्रोच और फ्रीडम इस शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण संदर्भ हैं
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति ग्रास इनरोलमेंट रेशियो की जगह इलिजिबल इनरोलमेंट रेशियो की चिंता करने वाली है। इसी नीति के कारण आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की अनुमति मिल चुकी है। वह इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना की तरफ से आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे।
अब मॉडल एजुकेशन रिसर्च यूनिवर्सिटी की व्यवस्था होगी
प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने कहा कि एसेसमेंट और इवेलुएशन प्रोसेस का पुनरीक्षण कार्य प्रगति पर है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के निर्माण की घोषणा हो चुकी है। हॉलिस्टिक अप्रोच और फ्रीडम इस शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण संदर्भ हैं। मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट प्वाइंट्स इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं। अनेक रेगुलेटरी बॉडीज के समन्वय की व्यवस्था भी शिक्षा नीति में शामिल है। बार काउंसिल और मेडिकल काउंसिल को छोड़कर बाकी सभी प्रकार की नियामक संस्थाएं एक ही छाते के नीचे काम करेंगी। अब मॉडल एजुकेशन रिसर्च यूनिवर्सिटी की व्यवस्था होगी जिसकी सहायता से हम भी ज्ञान विज्ञान में विश्व में अपनी और सशक्त उपस्थिति दर्ज कर पाएंगे।
अब शिक्षा पद प्रतिष्ठा प्राप्ति का साधन बन चुकी है
गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद के पूर्व कुलपति प्रोफेसर नरेश वेद ने कहा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आवश्यकताओं के परिवर्तन के कारण शिक्षा नीति में हमें परिवर्तन करना पड़ता है। पहले जहां शिक्षा का काम केवल ज्ञान में समृद्धि, अज्ञानता निवारण, मन की शांति आदि था वहीं अब शिक्षा पद प्रतिष्ठा प्राप्ति का साधन बन चुकी है। यह मानव संसाधन निर्माण का आधार है। अब क्लास नोट्स, डिग्री, डिवीजन आदि मूल्य बन चुके हैं। शिक्षा का व्यवसायीकरण हुआ है। ऐसे में 700 पेजों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषयक के. कस्तूरीरंगन की रिपोर्ट, जिसमें 635 पेज दस्तावेज के हैं, एल.पी.जी. प्रधान नीति है। जहां लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन एवं ग्लोबलाइजेशन के आलोक में तथा यूनेस्को की शिक्षा घोषणा लर्निंग टु नो, लर्निंग टू डू एंड लर्निंग टू बी का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत में पांच प्रकार के विश्वविद्यालय हैं। केंद्रीय, राज्य, डीम्ड, प्राइवेट और राष्ट्रीय संस्थान। इन्हीं की सहायता से विद्या की सभी शाखाओं में इंटीग्रेटेड कोर्स आदि की सहायता से यूनिवर्सिटी और कॉलेज काम कर रहे हैं। नई नीति सामाजिक, आर्थिक पिछड़े लोगों की दृष्टि से स्पेशल एजुकेशन जोन की व्यवस्था करने की घोषणा करती है जो कि महत्त्वपूर्ण है।